आषाढ़ मास की कालाष्टमी का विशेष महत्व है, क्योंकि ये भगवान शिव के रौद्र और भयनाशक रूप कालभैरव को समर्पित होती है। सनातन धर्म में कालभैरव को समय और सुरक्षा का अधिपति माना जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में छाए हर प्रकार के भय, संकट और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। साथ ही व्यक्ति को अद्भुत साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से भगवान कालभैरव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं।