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Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi: आज की पूजा में करवा माता की ये कथा सुनने से मिलता है मनचाहा आशीर्वाद

Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi: करवा चौथ के व्रत में करवा माता की कथा सुनने का भी बहुत महत्व माना जाता है। इस कथा में करवा चौथ के व्रत का महत्व बताया गया है। इस दिन महिलाएं शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से पहले करवा माता की पूजा करती हैं।

अपडेटेड Oct 10, 2025 पर 8:00 AM
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इस दिन की पूजा में करवा माता की कथा कहने और सुनने का भी विशेष महत्व है।

Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi: करवा चौथ का व्रत पूरे साल में आने वाले व्रत-त्योहारों में बहुत अहम माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास करती हैं। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मार्स की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये व्रत आज 10 अक्टूबर को किया जा रहा है। करवा चौथ के व्रत में शाम को महिलाएं भगवान गणेश, भगवान शिव, भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और माता पार्वती के साथ चंद्र देव और करवा माता की पूजा करती हैं। इस दिन की पूजा में करवा माता की कथा कहने और सुनने का भी विशेष महत्व है। आइए जानें करवा माता की कथा के बारे में

करवा चौथ व्रत कथा

करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार, एक नगर में एक साहूकार की बेटी और 7 बेटे रहते थे। साहूकार की बेटी का नाम करवा था। सभी 7 भाई अपनी बहन करवा से बहुत प्रेम करते थे। एक दिन की बात है, करवा अपने ससुराल से मायके आई थी और कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का व्रत रखा था। उस रात वह काफी परेशान थी। भाइयों ने देखा तो उससे परेशानी का कारण जानना चाहा।

करवा ने बताया कि आज वह निर्जला व्रत है। यह व्रत तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक कि चंद्रमा को अर्घ्य न दे दिया जाए। चंद्रमा के उदित न होने से वह पारण नहीं कर सकती थी, तब तक वह भूख-प्यास से व्याकुल थी। बहन को इस हालत में देखकर सभी भाई परेशान हो गए। तभी उनमें से सबसे छोटा भाई घर के बाहर पीपल के पेड़ पर छलनी में एक दीपक रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रोदय हो रहा है। उसके बाद वह अपनी बहन को जाकर बताता है कि चांद निकल आया है। यह सुनकर करवा खुश होती है। वह उस छलनी के दीपक को चांद समझकर अर्घ्य देती है और पारण करने के लिए बैठ जाती है।

वह अपने मुंह में पहला निवाला डालती है, तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा निवाला उठाती है तो उसमें बाल पड़ा होता है। तीसरा निवाला मुंह में डालती ही है कि उसे एक बुरी खबर सुनने को मिलती है। उसके पति का देहांत हो गया। यह सुनते ही वह बदहवास सी हो जाती है, रोने और चिल्लाने लगती है।

उसी बीच उसकी भाभी ने बताया कि व्रत के पारण के लिए उसके छोटे भाई ने क्या किया था। यह सुनकर करवा हैरान होती है, लेकिन वह प्रण करती है कि वह अपने पति को जीवित कराएगी। करवा अपने पति के शव के पास सालभर रहती है।


पति के शव के पास सूई जैसी घास उगती हैं, उसे एकत्र कर लेती है। उस बार जब करवा चौथ का व्रत आता है, तो उसकी सभी भाभी व्रत रखती हैं। पूजा के समय वह सभी करवा से आशीर्वाद के लिए आती हैं। तो करवा उनसे कहती है कि यम की सूई ले लो, पिय की सूई दे दो, मुझे भी सुहागन बना दो। वह एक-एक करके 6 भाभियों से कहती है, तो वे मना कर देती है। वे कहती हैं कि छोटे भाई की वजह से ऐसा हुआ है तो तुम उसकी पत्नी से कहो।

सबसे आखिर में छोटे भाई की पत्नी आती है तो करवा उससे भी वही बात कहती है। छोटी भाभी भी उसकी बात नहीं मानती है और उसे टालना चाहती है। लेकिन करवा उसे जोर से पकड़ लेती है। अंत में वह करवा की बात मान जाती है क्योंकि वह एक साल से कठोर तप कर रही थी।

छोटी भाभी अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली काटकर अमृत निकालती है और उसके मृत पति के मुख में डालती है। उसके प्रभाव से करवा का पति गणेश जी के नाम का स्मरण करते हुए जीवित हो जाता है। इस व्रत में गणेश जी और मां गौरी की कृपा से करवा का पति जीवित होता है। जो भी यह व्रत करे, उसे गणेश जी और मां गौरी की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो।

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