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Navratri 2025: मां दुर्गा का हाथी पर आगमन, डोली पर विदाई, जानें क्या कहते हैं ज्योतिषी

Navratri 2025: इस साल की शारदीय नवरात्रि खास होने वाली है क्योंकि ये 9 नहीं बल्कि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। चौथी तिथि की वृद्धि से बना यह दुर्लभ संयोग भक्तों के लिए शुभ माना जा रहा है। मां दुर्गा की साधना और आशीर्वाद पाने का यह अवसर भक्तों में खास उत्साह भर रहा है

अपडेटेड Sep 15, 2025 पर 8:19 AM
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Navratri 2025: 22 सितंबर से कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का शुभारंभ होगा

शारदीय नवरात्रि हर साल भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व मानी जाती है, लेकिन इस बार यह और भी खास होने वाली है। इस साल नवरात्रि 9 नहीं बल्कि पूरे 10 दिनों तक मनाई जाएगी। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार चौथी तिथि की वृद्धि से बना यह संयोग बहुत दुर्लभ है और इसे बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस तरह के संयोग में मां दुर्गा की साधना करने से अधिक फल प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

22 सितंबर से कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का शुभारंभ होगा और 1 अक्टूबर तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होगी। 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार का लंबा नवरात्रि पर्व भक्तों के लिए साधना, संयम और आस्था का सुनहरा अवसर लेकर आया है।

महत्वपूर्ण तिथियां और पूजन क्रम


इस बार नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर को मां शैलपुत्री की पूजा से होगी।

  • 28 सितंबर को होगी बेल पूजा।
  • 29 सितंबर को प्रतिमा स्थापना और कालरात्रि दर्शन होंगे।
  • 30 सितंबर को महाष्टमी व्रत, जागरण और महागौरी पूजन का आयोजन होगा।
  • 1 अक्टूबर को नवमी व्रत, हवन, कन्या पूजन और सिद्धिदात्री दर्शन होंगे।
  • 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी और नीलकंठ दर्शन, सर्वदिशा यात्रा का महत्व रहेगा।
  • 3 अक्टूबर को प्रतिमा विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होगा।

मां दुर्गा का आगमन और गमन का संकेत

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार मां दुर्गा हाथी पर आ रही हैं, जिसे वर्षा, अन्न-धन और समृद्धि का शुभ संकेत माना जाता है। लेकिन उनका गमन डोली पर होगा, जो संकेत देता है कि साल के शेष महीनों में स्वास्थ्य और चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत होगी। ये कोई नकारात्मक संदेश नहीं बल्कि सतर्कता और संयम बरतने की प्रेरणा है।

नौ स्वरूपों की पूजा से ग्रह होंगे मजबूत

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना का गहरा ज्योतिषीय महत्व है।

  • शैलपुत्री से चंद्रमा का संतुलन,
  • ब्रह्मचारिणी से मंगल शांत,
  • चंद्रघंटा से बुध की स्पष्टता,
  • कूष्मांडा से सूर्य की ऊर्जा,
  • स्कंदमाता से गुरु का आशीर्वाद,
  • कात्यायनी से शुक्र का सौंदर्य,
  • कालरात्रि से शनि के दोषों का निवारण,
  • महागौरी से राहु-केतु संतुलित,
  • सिद्धिदात्री से सभी ग्रहों का शुभफल प्राप्त होता है।

चौथी तिथि की वृद्धि का महत्व

चौथी तिथि बढ़ने से साधकों को इस बार एक अतिरिक्त दिन का लाभ मिलेगा। ये दिन बुध और चंद्रमा के संयोजन को बल देता है, जिससे मानसिक शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता और आध्यात्मिक विश्वास बढ़ने की संभावना रहती है।

ग्रह-नक्षत्रों के संकेत

ग्रह-नक्षत्र बताते हैं कि ये नवरात्रि वर्षा और अन्न-धन के लिए बेहद शुभ है। आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के योग बन रहे हैं। डोली पर गमन ये संदेश देता है कि आने वाले महीनों में हमें सेहत और सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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