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Navratri 2025 day 5 Maa Skandamata: देवी दुर्गा का पांचवां स्वरूप हैं स्कंदमाता, जानिए इनकी उत्पत्ति की कथा और पूजा विधि

Navratri 2025 day 5 Maa Skandamata: नवरात्र का पांचवां दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता रूप को समर्पित होता है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से नि:संतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं देवी ने क्यों लिया स्कंदमाता का रूप और इनकी पूजा विधि

अपडेटेड Sep 26, 2025 पर 6:30 AM
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स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है।

Navratri 2025 day 5 Maa Skandamata: शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माता का ये स्वरूप भक्तों को सौभाग्य, समृद्धि और संतानसुख प्रदान करने वाला माना जाता है। स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है। अपने इस स्वरूप में मां बहुत ही मोहक और प्यारी लगती हैं। देवी की चार भुजाएं हैं और भगवान स्कंद बालरूप में उनकी गोद में बैठे हैं। देवी ने अपनी दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में लिया है और दाहिनी निचली भुजा में कमल पकड़ा हुआ है। माना जाता है कि स्कंदमाता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से नि:संतान व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को शक्कर पुड़ी, केले, चने और हलवा का भोग अर्पित किया जाता है। स्कंदमाता की कृपा से भक्तों को समृद्धि, सौभाग्य, और शांति की प्राप्ति होती है।

तारकासुर के वध के लिए स्कंदमाता का लिया रूप

पौराणिक कथा के अनुसार, तारकासुर नामक एक राक्षस को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि उनकी मृत्यु केवल शिव जी की संतान के हाथों ही होगी। तारकासुर का आतंक अत्यधिक बढ़ गया था। इस स्थिति में मां पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण किया और अपने पुत्र स्कंद अर्थात कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने लगी। स्कंदमाता से युद्ध की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कार्तिकेय जी ने तारकासुर का संहार किया।


मां स्कंदमाता का प्रिय रंग : नवरात्रि के पांचवें दिन का शुभ रंग पीला व सफेद माना गया है। कहते हैं कि मां स्कंदमाता के पूजन में श्वेत या पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ होता है।

मां स्कंदमाता प्रिय पुष्प : मां स्कंदमाता को कमल का पुष्प अतिप्रिय है। कमल के पुष्प पर विराजमान होने के कारण मां को पद्मासन भी कहा जाता है। इसके अलावा मां स्कंदमाता को गुलाब व गुड़गुहल के लाल पुष्प भी अर्पित किए जा सकते हैं।

पूजा विधि :

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और वहां स्कंदामाता का चित्र या मूर्ति बैठाएं।
  • अब मां स्कंदमाता को सबसे पहले गंगाजल अर्पित करें।
  • इसके बाद फूल, अक्षत, सिंदूर चढ़ाएं।
  • फिर माता के आगे धूप- दीप जलाएं, प्रसाद अर्पण करें।
  • इस दिन दान पुण्य करने का खास महत्व होता है।

 

 

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