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Paush Month 2025: दिसंबर में इस तारीख से शुरू होगा पौष माह, जानें इस माह में सूर्य को अर्घ्य देने का क्या है महत्व?

Paush Month 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अगहन का महीना खत्म हो जाएगा। इसके अगले दिन से हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना पौष शुरू होगा। इस माह में सूर्य की उपासना का बहुत महत्व होता है। इसलिए इस माह में सूर्य देव को उषा अर्घ्य देने की भी परंपरा है। आइए जानें इसका पौराणिक महत्व

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 02, 2025 पर 12:01 AM
Paush Month 2025: दिसंबर में इस तारीख से शुरू होगा पौष माह, जानें इस माह में सूर्य को अर्घ्य देने का क्या है महत्व?
पौष के महीने जो सूर्य की विधि-विधान से पूजा करता है उसके कुंडली मे कई दोष शांत होते हैं।

Paush Month 2025: मार्गशीर्ष मास के अंतिम कुछ दिन बचे हैं। पूर्णिमा के दिन ये महीना समाप्त हो जाएगा और इसके अगले दिन से हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना पौष शुरू होगा। पौष के महीने में मांगलिक कार्य रुक जाते हैं, लेकिन ये महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में सूर्य की उपासना बहुत लाभकारी मानी जाती है। माना जाता है कि इस महीने में सूर्य की पूजा करने से कुंडली में नौ ग्रहों से संबंधित दोष शांत होते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो घर-परिवार और समाज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे, मान-सम्मान मिले, सफलता मिले, इसके लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इसलिए इस महीने में सूर्य को सुबह अर्घ्य देने और विधि-विधान से पूजा करना बहुत लाभकारी होता है। आइए जानें पौष माह शुरू होने की तारीख और सूर्य भगवान की पूजा की विधि और महत्व

5 दिसंबर से शुरू हो रहा है पौष का महीना

पंचांग के मुताबिक, पौष माह की शुरुआत 5 दिसंबर 2025, शुक्रवार से हो रही है। इसका समापन अगले महीने यानी नए साल में 3 जनवरी 2025, शनिवार को होगा। पौष का महीना पितरों के तर्पण के लिए खास माना जाता है। इसका खास धार्मिक महत्व भी है। इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना से धन-धान्य और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह महीना भगवान की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शुभ होता है।

इस तरह अर्पित करें सूर्य का अर्घ्य

  • रोज सुबह स्नान के बाद घर के उस हिस्से में अर्घ्य दें जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हैं। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें। उसमें कुमकुम, चावल और फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
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