Pitra Paksha 2025: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूरे साल में ये 15-16 दिनों की अवधि अपने परिवार के पितरों को याद करने के लिए निर्धारित की गई है। इस दौरान परिवार के लोग अपने उन परिजनों का श्राद्ध करते हैं, जो अब परलोकवासी हो चुके हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और दान करने का विधान है। पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है। इस दौरन लोग अपने-अपने परिवार के पितरों का उनकी देहत्याग की तिथि के अनुसार श्राद्ध और तर्पण करते हैं।
इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर को भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू हो रहे हैं। खास बात ये है इस बार श्राद्ध की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है और इस अवधि का समापन सूर्यग्रहण के साथ हो रहा है। लेकिन एक विशेष बात ये भी है कि इस बार पितृ पक्ष की अवधि 15 या 16 दिनों की न होकर मात्र 14 दिनों की ही बताई जा रही है। आइए जानें इसके बारे में।
12 सितंबर को होगा पंचमी और षष्ठी तिथि का श्राद्ध
पंचांग के अनुसार सात सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन मातृकुल के पितरों नाना-नानी आदि का तर्पण करते हैं। प्रतिपदा का श्राद्ध आठ सितंबर को किया जाएगा। इस बार पितृपक्ष 14 दिनों का होगा यानी दो तिथियों का नुकसान हो रहा है। हिंदू पंचांग में तिथियों के नुकसान की घटना अक्सर होती है। इस बार पंचमी व षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को होगा। वहीं, मातृनवमी 15 सितंबर को और संन्यासियों का श्राद्ध द्वादशी 18 सितंबर को होगा। चतुर्दशी तिथि में 20 सितंबर को दुर्धटना या शस्त्र से मृत लोगों का श्राद्ध किया जाएगा। इसके बाद 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृ विसर्जन के साथ सम्पन्न हो जाएगा।
6 सितंबर को लगेगी पूर्णिमा तिथि