Pitru Paksha 2025: 7 सितंबर से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, जानें इससे जुड़ी जरूरी बातें

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितरों का श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है। 15-16 दिनों की ये अवधि इस साल 7 सितंबर, 2025 से शुरू हो रही है। इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ 21 सितंबर, 2025 को होगा।

अपडेटेड Aug 11, 2025 पर 1:29 PM
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भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर, 2025 से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है।

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में इस संसार को छोड़ कर जा चुके परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध का बहुत महत्व है। इसके लिए पूरा 15 दिन का समय हिंदू कैलेंडर में निर्धारित है, जो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है। इस बार इसकी शुरुआत 7 सितंबर से मानी जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितृ धरती पर आते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। 15-16 दिनों की इस अवधि में पितरों यानी पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इसके अलावा पितृ दोष के निवारण के लिए भी ये समय उत्तम माना जाता है।

पूर्णिमा तिथि समय

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि इस साल 07 सितंबर को देर रात 1.41 बजे शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 07 सितंबर को ही रात 11.38 बजे होगा। इसलिए रविवार, 07 सितंबर के दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जा रही है। जबकि पितृ पक्ष की अवधि 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगी।

पितृ पक्ष में जरूर करें दान 

पितृ पक्ष की अवधि में दान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि 15 दिन की इस अवधि में दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है।

पीपल की पूजा का विशेष महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ के पास दीपक और जल जरूर देना चाहिए। दीपक में तेल और काले तिल डालकर जलाएं और पेड़ की सात परिक्रमा करें। पितृ पक्ष में इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।

नहीं होते मांग्लिक कार्य 

पितृ पक्ष की अवधि में सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे मांग्लिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा इस अवधि में सात्विक आचरण का पालन करने का विशेष महत्व है। कुछ विशेष नियम ऐसे हैं जिनका पालन न करने से साधक को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे तामसिक भोजन का नहीं करना चाहिए और इसके अलावा किसी नए काम की शुरुआत करने से बचना चाहिए।

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First Published: Aug 11, 2025 1:29 PM

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