राम नवमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। ये दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो कि भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए इस पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है। राम नवमी के दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्त उपवास रखते हैं। जगह-जगह भजन-कीर्तन, शोभायात्राएं और धार्मिक आयोजन होते हैं।
ये पर्व सत्य, धर्म और मर्यादा की प्रतीक भगवान श्रीराम के आदर्शों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष राम नवमी का पर्व 6 अप्रैल, रविवार को पूरे भारत में उत्साह और भक्ति के वातावरण में मनाया जा रहा है।
राम नवमी की पूजा खासतौर पर मध्याह्न काल में करने की परंपरा है, क्योंकि श्रीराम का जन्म दोपहर के समय हुआ था। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। जबकि राम नवमी का मध्याह्न क्षण दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर रहेगा। इस समय में पूजा करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां लाल या पीले कपड़े से ढकी चौकी पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा में चंदन, रोली, धूप, फूल, माला, नैवेद्य व भोग अर्पित करें।
रामायण, रामचरितमानस या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
राम जी की कृपा पाने के लिए मंत्र जप
राम नवमी के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जप करने से भगवान राम की विशेष कृपा प्राप्त होती है:
श्री राम जय राम कोदण्ड राम॥
राम तारक मंत्र: श्री राम जय राम जय जय राम॥
ॐ दशरथये विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥
ॐ आपदामपहर्तारम् दातारम् सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो-भूयो नमाम्यहम्॥