श्रावण मास, जिसे हम सावन के नाम से जानते हैं, भगवान शिव का सबसे प्रिय और पवित्र महीना माना जाता है। ये मास भक्ति, तपस्या और आस्था से भरा होता है, जिसमें लाखों भक्त भोलेनाथ की आराधना में लीन हो जाते हैं। शिवभक्तों के लिए ये समय केवल धार्मिक अनुष्ठानों का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और अध्यात्म से जुड़ने का अवसर भी होता है। पूरे महीने भक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करते हैं। सावन विशेष रूप से सोमवारों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें शिवजी की विशेष पूजा की जाती है।
मान्यता है कि इस पावन महीने में की गई पूजा का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। यही कारण है कि हर साल सावन शुरू होने से पहले ही भक्तों में उत्साह और श्रद्धा का माहौल बन जाता है। ये महीना शिव से जुड़ने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।
शिव की पूजा से मिलती है विशेष कृपा
मान्यता है कि सावन में शिवजी की पूजा करने से जीवन की हर समस्या दूर होती है। खासकर सावन के सोमवार और 16 सोमवार का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। शिव नाम का जप करने से सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
सावन 2025 की शुरुआत और समाप्ति तिथि
सावन शुरू: 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
समाप्त: 9 अगस्त 2025 (रक्षाबंधन)
दक्षिण और पश्चिम भारत में:
पहले दिन के पूजन के शुभ मुहूर्त
सावन सोमवार की तिथियां (Sawan Somwar 2025)
पूजन विधि: कैसे करें शिवजी को प्रसन्न
सुबह शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं
पंचाक्षर मंत्र या शिव स्तोत्र का जाप करें
जाप के बाद ही फलाहार करें
रुद्राक्ष पहनना भी शुभ माना जाता है
सावन में रखें ये सावधानियां
बासी, भारी और मांसाहारी भोजन से बचें
धूप में बाहर निकलने से परहेज करें
सावन का महीना चातुर्मास का हिस्सा है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन इसी माह में हुआ था। जब विष निकला तो भगवान शिव ने उसे पी लिया और ‘नीलकंठ’ कहलाए। तभी से सावन में शिव पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।