वीरेंद्र सहवाग का बड़ा खुलासा, "धोनी ने टीम से बाहर किया, 2011 वर्ल्ड कप से पहले लेने वाला था संन्यास, लेकिन सचिन ने रोका"

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि साल 2011 वर्ल्ड कप से पहले उन्होंने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया था। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें लंबे समय तक प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था

अपडेटेड Aug 15, 2025 पर 11:56 AM
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वीरेंद्र सहवाग ने 251 मैचों में 8273 रन बनाकर संन्यास लिया

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि साल 2011 वर्ल्ड कप से पहले उन्होंने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया था। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें लंबे समय तक प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था। सहवाग ने बताया कि किन उनके साथी और दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने उन्हें यह फैसला लेने से रोक दिया।

सहवाग ने बताया कि ये किस्सा 2007-08 की कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज का है। इस सीरीज में उन्होंने शुरुआती पांच मैच खेले और 16.20 की औसत से सिर्फ 81 रन बनाए थे। इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर महज 33 रन का था। इसके बाद उन्हें आखिरी तीन मैचों से बाहर कर दिया गया, और भारत ने दोनों फाइनल में श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया को हराकर खिताब जीता।

इसके छह महीने बाद किटप्लाई कप में सहगाव की टीम में वापसी हुई, जहां उन्होंने तीन मैचों में 150 रन बनाए। इसमें दो अर्द्धशतक शामिल थे और उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया।


उनकी वापसी छह महीने बाद किटप्ली कप में हुई, जहां उन्होंने तीन मैचों में 150 रन बनाए, जिसमें दो अर्द्धशतक शामिल थे और लगातार अच्छा प्रदर्शन किया।

सहवाग ने कहा, "2007-08 की ऑस्ट्रेलिया में हुई सीरीज में, मैंने पहले तीन (पांच) मैच खेले और फिर एमएस धोनी ने मुझे टीम से बाहर कर दिया। उसके बाद कुछ समय तक मुझे टीम में नहीं चुना गया। फिर मुझे लगा कि अगर मैं प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं बन सकता, तो मेरे वनडे क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं है।"

उन्होंने कहा, “मैंने सचिन से कहा कि मैं वनडे क्रिकेट छोड़ने का सोच रहा हूं। उन्होंने मुझे समझाया कि यह मुश्किल दौर है और गुजर जाएगा। भावुक होकर फैसला मत लो।” इसके बाद सहवाग ने 2011 वर्ल्ड कप खेला और भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा, "फिर मैं तेंदुलकर के पास गया और कहा कि मैं वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में सोच रहा हूं। लेकिन उन्होंने मुझे मना किया और समझाया कि यह मुश्किल दौर है और गुजर जाएगा। उन्होंने बताया कि मैं भी 1999-2000 में ऐसे ही दौर से गुजरा चुका हूं, जब मुझे लगा था कि मुझे क्रिकेट छोड़ देना चाहिए। लेकिन वह दौर आया और चला गया। तुम्हारा भी गुजर जाएगा। भावुक होकर फैसले नहीं लेने चाहिए। खुद को थोड़ा समय दो और 1-2 सीरीज खेलो, फिर कोई फैसला लो।'

सहवाग ने कहा, "जब वह सीरीज खत्म हुई, तो मैं अगली सीरीज में खेला और खूब रन बनाए। इसके बाद मैंने 2011 का विश्व कप खेला और हमने विश्व कप भी जीता।"

सहवाग ने 251 मैचों में 8273 रन बनाकर संन्यास लिया।

सहवाग ने अपने बेटे आर्यवीर पर भी बात की, जो दिल्ली क्रिकेट में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने उसे कहा है कि दबाव लो मत, दबाव दो। अगर वह मेहनत करता रहा तो भविष्य में रणजी ट्रॉफी या भारत के लिए खेल सकता है। अभी वह सिर्फ 15 साल का है और भविष्य में बहुत कुछ सीखेगा।”

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