एप्पल ने हाल ही में अपनी फ्लैगशिप iPhone 17 सीरीज लॉन्च की है। इसके कुछ मॉडल भारत की तुलना में अमेरिका, यूएई/दुबई, ब्रिटेन और वियतनाम जैसे देशों में सस्ते मिल रहे हैं।
एप्पल ने हाल ही में अपनी फ्लैगशिप iPhone 17 सीरीज लॉन्च की है। इसके कुछ मॉडल भारत की तुलना में अमेरिका, यूएई/दुबई, ब्रिटेन और वियतनाम जैसे देशों में सस्ते मिल रहे हैं।
विदेश में कीमत कम होने के चलते कई खरीदार अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से कह सकते हैं कि वे बाहर से उनके लिए iPhone लेकर आएं। इसी तरह, जो लोग छुट्टियां या बिजनेस ट्रिप पर विदेश जाते हैं, वे भी सस्ते दाम पर वहां से iPhone खरीदने के लिए आकर्षित हो सकते हैं।
लेकिन, विदेश से सस्ते iPhone खरीदने के कुछ जोखिम भी हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
क्या विदेश से iPhone खरीदना सुरक्षित है?
विदेश से iPhone खरीदकर भारत लाने का मतलब है कानूनी नियमों के एक जटिल जाल में फंसना, जिसे ज्यादातर यात्री हल्के में लेते हैं। भारतीय कस्टम कानून ‘स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी प्रिंसिपल्स’ पर काम करता है, यानी नियमों की जानकारी न होना किसी को सजा से नहीं बचा सकता। ऐसे में जो एक सामान्य खरीदारी लगती है, वह जल्दी ही गंभीर क्रिमिनल चार्ज में बदल सकती है।
IMEI रजिस्ट्रेशन की दिक्कत
भारत का टेलीकॉम सिस्टम इसे और जटिल बनाता है। जैसे कि इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (IMEI) नंबर रजिस्ट्रेशन सिर्फ कागजी औपचारिकता नहीं है, इसके पीछे सख्त कानूनी प्रावधान हैं।
बिना रजिस्ट्रेशन वाले डिवाइस पर कार्रवाई हो सकती है। नेटवर्क प्रोवाइडर नियमित जांच करते हैं और गड़बड़ी मिलने पर तुरंत डिवाइस को ब्लॉक कर दिया जाता है। इसका मतलब कि आप महंगा महंगे फोन कुछ ही महीनों में पूरी तरह बेकार हो सकता है।
कस्टम ड्यूटी की दिक्कत
विदेश से iPhone खरीदकर भारत लाने पर सबसे बड़ी समस्या कस्टम नियमों का पालन करना है। मौजूदा बैगेज नियमों के तहत, 3 दिन से अधिक विदेश यात्रा करने वाले बालिग यात्री को 50,000 रुपये तक के इलेक्ट्रॉनिक सामान पर ड्यूटी-फ्री छूट मिलती है।
इसमें आम तौर पर एक पर्सनल फोन और एक लैपटॉप शामिल होते हैं। इससे ज्यादा वैल्यू होने पर 35% बेसिक कस्टम ड्यूटी और 3.5% सरचार्ज (कुल 38.5%) देना होता है। इन्हें रेड चैनल पर डिक्लेयर करना जरूरी है। डिक्लेयर न करने पर पेनल्टी लग सकती है या सामाना सीज हो सकता है।
अगर एक से ज्यादा iPhone लाए तो?
अगर कोई यात्री कई नए iPhones (खासकर सीलबंद) लेकर आता है, तो इसे ‘कमर्शियल इंपोर्ट’ माना जाएगा और इस पर पूरी ड्यूटी लगेगी, साथ ही सख्त जांच भी होगी। वहीं, पर्सनल यूज के लिए एक फोन लाना कानूनी रूप से सही है। लेकिन अगर उसकी वैल्यू 50,000 रुपये से ज्यादा है और उसे डिक्लेयर नहीं किया गया, तो दिक्कत हो सकती है।
ऐसी स्थिति में फोन कस्टम्स एक्ट 1962 की धारा 111 के तहत जब्त किया जा सकता है। साथ ही धारा 112 के तहत पैसेंजर पर उतना ही जुर्माना लगाया जा सकता है जितना फोन की कीमत है या जितना ड्यूटी चुकाने से बचा गया।
एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर गलत डिक्लेरेशन या जानकारी छुपाने का मामला हो तो धारा 114A के तहत ड्यूटी चोरी के बराबर पेनाल्टी लगती है। अगर 30 दिन के अंदर ड्यूटी, ब्याज और पेनाल्टी चुकाई जाती है तो पेनल्टी कम हो सकती है। ये ज्यादातर सिविल लायबिलिटी और फाइन होते हैं। लेकिन बार-बार नियम तोड़ने पर धारा 135 के तहत क्रिमिनल केस, ज्यादा फाइन और जेल तक हो सकती है।
वारंटी में भी हो सकती है दिक्कत
एक्सपर्ट का कहना है कि विदेश से iPhone 17 खरीदने पर भारत में वारंटी को लेकर भी समस्या आ सकती है। कई बार कुछ मॉडल की वारंटी सिर्फ उस देश में मिलती है जहां से खरीदा गया है। भारत में Apple उस डिवाइस पर सर्विस देने से मना कर सकता है।
बेशक भारत में फोन इस्तेमाल करने में कानूनी दिक्कत नहीं है, लेकिन Apple आमतौर पर विदेश से खरीदे गए iPhones पर भारत में वारंटी या रिपेयर सर्विस नहीं देता। ऐसे में रिपेयर के लिए उसी देश जाना पड़ सकता है।
क्या विदेश से iPhone खरीदना सही रहेगा?
जानकारों का कहना है कि बिना सील वाला एक iPhone लाना आसान है। अगर फोन खरीदार ने विदेश में इस्तेमाल किया है, तो इसे बिना कस्टम ड्यूटी के भारत लाया जा सकता है। लेकिन अगर फोन नया और सीलबंद है, तो 50,000 रुपये से कम कीमत होने पर ही ड्यूटी-फ्री लाना संभव है। महंगे iPhones पर कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ेगी।
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