DU की प्रोफेसर ने क्लासरूम की दीवारों पर लगाया गोबर, लोगों ने किया ट्रोल तो आया ये जवाब

प्रिंसिपल डॉ. प्रत्यूष वत्सला ने बताया कि, यह किसी अंधविश्वास से नहीं जुड़ा है बल्कि यह एक वैज्ञानिक शोध का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट हमारे एक फैकल्टी मेंबर द्वारा शुरू किया गया है। डॉ प्रत्यूष ने कहा कि अभी प्रोजेक्ट शुरुआती चरण में है और एक हफ्ते बाद वह इस रिसर्च का पूरा डेटा और नतीजे सामने रखेंगी

अपडेटेड Apr 14, 2025 पर 8:36 PM
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लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह लकड़ी की मेज़ पर खड़ी होकर दीवारों पर गाय के गोबर का लेप करती नजर आ रही हैं। वायरल वीडियो में कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. प्रत्यूष वत्सला क्लासरूम की दीवारों पर गाय के गोबर का लेप लगा रही हैं। करीब 35 सेकंड का ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी रिएक्शन आ रहे हैं। इस वीडियो को खुद प्रिंसिपल ने कॉलेज के शिक्षकों के ग्रुप में शेयर किया है।

प्रिंसिपल ने दिया ये जवाब

जब इस वीडियो को लेकर सवाल उठे, तो प्रिंसिपल ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया कि यह एक फैकल्टी सदस्य द्वारा किए जा रहे रिसर्च का हिस्सा है और यह कार्य कॉलेज परिसर में मौजूद पोर्टा केबिन में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह किसी अंधविश्वास से नहीं जुड़ा है बल्कि यह एक वैज्ञानिक शोध का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट हमारे एक फैकल्टी मेंबर द्वारा शुरू किया गया है। डॉ प्रत्यूष ने कहा कि अभी प्रोजेक्ट शुरुआती चरण में है और एक हफ्ते बाद वह इस रिसर्च का पूरा डेटा और नतीजे सामने रखेंगी।


समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहल कॉलेज के सी ब्लॉक में की गई है, जहां पारंपरिक देशी तरीकों से कमरों को ठंडा रखने की कोशिश की जा रही है। कॉलेज में कुल पांच ब्लॉक हैं और यह प्रयोग फिलहाल एक ही ब्लॉक में शुरू किया गया है।

वहीं इस वीडियो पर रिएक्शन देते हुए शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर विजेंद्र चौहान ने विश्वविद्यालय के छात्रों की नौकरी की संभावनाओं को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "वह मेरे ही विश्वविद्यालय के एक कॉलेज की प्रिंसिपल हैं, जो कक्षा की दीवारों पर गोबर का लेप लगा रही हैं। इस घटना ने मुझे कई बातों को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है। सबसे अहम सवाल यह है – यदि आप एक नियोक्ता हैं और आपके सामने ऐसा कोई उम्मीदवार आता है जिसने उस संस्थान से पढ़ाई की है, जहां इस तरह की अकादमिक सोच रखने वाले नेतृत्वकर्ता हैं – तो क्या आप उस उम्मीदवार को नौकरी देना चाहेंगे?" चौहान का इशारा इस ओर था कि संस्थानों की छवि और उनके नेतृत्व का छात्रों के करियर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

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First Published: Apr 14, 2025 8:33 PM

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