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आंखें नीली, भूरी या काली क्यों होती हैं? जानें इसके पीछे का विज्ञान

Eye colors: लोगों की आंखों के रंग अलग-अलग क्यों होते हैं? कुछ की आंखें काली, कुछ भूरी, तो कुछ नीली या हरी होती हैं। इसका कारण जीन और मैलानिन जैसी चीजें हैं। यही वजह है कि हर इंसान की आंखें खास और अलग दिखती हैं, और दुनिया में रंगों की यह खूबसूरत विविधता बनी रहती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 08, 2025 पर 3:53 PM
आंखें नीली, भूरी या काली क्यों होती हैं? जानें इसके पीछे का विज्ञान
eye colors: दुनिया में सबसे ज्यादा लोग भूरी आंखों वाले हैं, क्योंकि इसे डेवलप करने वाले जीन सबसे आम हैं।

अकसर लोगों की आंखों का रंग भूरा या गाढ़ा भूरा होता है, लेकिन कुछ लोगों की आंखें हरी, ग्रे या नीली भी नजर आती हैं। नीली आंखें सुनते ही ऐश्वर्या राय की झिलमिलाती आंखें या सैफ-करीना के बेटे तैमूर की याद आ जाती है। भूरी आंखों की व्यापकता को देखकर कई लोगों में ये सवाल उठता है कि आखिर ज्यादातर लोगों की आंखें भूरी क्यों होती हैं। इसका जवाब जटिल विज्ञान में छुपा है। आंखों का रंग मैलानिन, प्रोटीन का घनत्व और रोशनी जैसी कई कारकों पर निर्भर करता है।

आंखों में मौजूद जीन, खासकर OCA2 और HERC2, रंग तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। दुनिया में नीली आंखें दुर्लभ हैं, जबकि भूरी आंखें सबसे आम हैं। इसी वजह से ज्यादातर लोगों की आंखें भूरी दिखाई देती हैं, और नीली, हरी या ग्रे आंखें कम ही मिलती हैं।

पुतली और जीन का विज्ञान

आंखों का रंग पुतली में मैलानिन की मात्रा पर निर्भर करता है। इसके अलावा प्रोटीन का घनत्व और आसपास की रोशनी भी रंग तय करती है। आंखों का रंग 9 कैटेगरी में आता है और 16 जीन इसमें भूमिका निभाते हैं। प्रमुख जीन हैं OCA2 और HERC2, जो क्रोमोसोम 15 पर होते हैं। HERC2 जीन OCA2 के एक्सप्रेशन को नियंत्रित करता है और नीली आंखों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। OCA2 नीली और हरी आंखों में अहम भूमिका निभाता है।

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