Mayur Vihar Temple Demolition Row: दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर मयूर विहार में तीन मंदिरों को तोड़ने की कार्रवाई स्थानीय बीजेपी विधायक के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन के कारण गुरुवार (20 मार्च) को स्थगित कर दी गई। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की एक टीम पुलिस के साथ गुरुवार तड़के करीब चार बजे पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार स्थित काली मंदिर, अमरनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर को गिराने के लिए पहुंची। ये मंदिर कथित तौर पर क्षेत्र के फेज 2 में हरित पट्टी पर बने हैं।
पटपड़गंज से विधायक रविंदर सिंह नेगी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, "हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, डीडीए की टीम पुलिस के साथ पटपड़गंज विधानसभा के मयूर विहार फेज 2 में पहुंची। लेकिन हम पहले से ही वहां मौजूद थे और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि मंदिर सुरक्षित रहें।" डीडीए के प्रवक्ता ने पीटीआई से पुष्टि की है कि तोड़फोड़ की कार्रवाई स्थगित कर दी गई है।
प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी कहा, "लोगों के आक्रोश के कारण हमें अभियान स्थगित करना पड़ा। हालांकि, हमारी कानूनी टीम मामले की समीक्षा कर रही है।" नेगी ने कहा कि वह और अन्य लोग तड़के तीन बजे से ही घटनास्थल पर मौजूद थे। उन्होंने मंदिरों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उपराज्यपाल वी के सक्सेना के साथ चर्चा के बाद अभियान स्थगित कर दिया गया।
वहीं, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी की 'डबल इंजन' सरकार ने पहले तो तोड़ने का आदेश दिया। बुलडोजर और पुलिस तैनात की और फिर जब जनता का आक्रोश भड़क उठा तो उसने अनजान होने का नाटक किया।
आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी ने कहा, "अगर BJP ने उन्हें नहीं भेजा तो फिर किसने भेजा?" उन्होंने BJP पर दिल्ली के निवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। आतिशी ने कहा, "उन्हें कम से कम यह तो बताना चाहिए कि पुलिस किसने भेजी? CRPF किसने भेजी? बुलडोजर किसने मंगवाए? अब, जब डबल इंजन वाली सरकार है, तो DDA, पुलिस और PWD सभी उनके नियंत्रण में हैं।"
बताया जा रहा है कि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) के नेतृत्व में तोड़फोड़ करने वाली टीम भारी पुलिस बल के साथ गुरुवार तड़के ही मौके पर पहुंच गई थी। इसमें एडिशनल डीसीपी, एसीपी और एसएचओ शामिल थे। हालांकि, बीजेपी विधायक रविंदर सिंह नेगी के हस्तक्षेप के बाद यह फैसला रोक दिया गया। वह मौके पर पहुंचे और तोड़फोड़ को रोकने के लिए तुरंत मुख्यमंत्री से संपर्क किया।