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Snake: समंदर में फेंका, लेकिन जिंदा निकला! अजगर की 8 महीने की हैरान कर देने वाली वापसी

Snake: एक नन्हा अजगर गलती से केरल से लक्षद्वीप पहुंच गया, समुद्र में फेंका गया, फिर भी जिंदा रहा... और आखिरकार 8 महीने बाद अपने जंगल वापस लौटा। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। जानिए कैसे एक अजगर बना चर्चा का विषय और कैसे इंसानों ने निभाई उसकी घर वापसी में अहम भूमिका

अपडेटेड Jul 06, 2025 पर 2:28 PM
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Snake: 27 जून को अजगर को कोचीन पोर्ट लाया गया, जहां से उसे एर्नाकुलम जिले के कोडनाड रेंज स्थित मेक्कपाला फॉरेस्ट स्टेशन ले जाया गया।

करीब आठ महीने पहले एक अजगर ने ऐसा सफर तय किया, जो हर किसी को चौंका गया। ये नन्हा भारतीय अजगर गलती से केरल से लक्षद्वीप पहुंच गया। वो पारंपरिक नाव 'मंचु' के जरिए समुद्र पार कर गया और एक अनजान द्वीप पर जा निकला। वहां न जंगल था, न उसका कोई ठिकाना, फिर भी वो जिंदा रहा। जब लोगों ने उसे देखा तो डर गए, लेकिन बाद में उसकी देखभाल की गई और अब उसे वापस उसके असली घर यानी केरल के जंगलों में छोड़ दिया गया है। ये कहानी है हिम्मत, जिंदगी और इंसानों की मदद की – जो बताती है कि अगर कोशिश हो तो हर जीव सुरक्षित घर लौट सकता है।

मंचु से हुई शुरुआत

ये अजगर अनजाने में एक पारंपरिक लकड़ी की नाव 'मंचु' में सवार हो गया, जो केरल के कोझिकोड तट से कवरत्ती द्वीप की ओर जा रही थी। माना जाता है कि ये अजगर शायद सामान के बीच छिप गया और किसी को पता भी नहीं चला। जब नाव लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप पर पहुंची और सामान उतारा जाने लगा, तभी मजदूरों ने इस अजगर को देखा। डर के मारे उन्होंने उसे बिना देर किए समुद्र में फेंक दिया।


समंदर में डूबा नहीं, तैरकर पहुंचा किनारे

पर ये अजगर कोई मामूली जीव नहीं था। भारतीय अजगर तैराकी में बेहद दक्ष होते हैं। यही वजह थी कि वो समुद्र में फेंके जाने के बावजूद डूबा नहीं, बल्कि तैरते हुए किनारे तक आ गया। उसके बाद वो कवरत्ती द्वीप पर इधर-उधर घूमने लगा। ये द्वीप उसका प्राकृतिक आवास नहीं है और वहां जंगल भी नहीं हैं, लेकिन उसके पास जीने की ललक थी।

धीरे-धीरे बना चर्चा का विषय

अजगर की मौजूदगी ने स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया। कोई उसे देखकर डरता, तो कोई कौतूहल से भर जाता। उसकी झलक पाने के लिए लोग वन विभाग को कॉल करने लगे। कभी वह घरों के पास दिखता, कभी बंदरगाह के आसपास। वन विभाग ने कई बार उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।

17 जून की रात पकड़ में आया

आखिरकार 17 जून की रात, अजगर बंदरगाह कर्मचारी आवास के पीछे दिखा और वन विभाग ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे सुरक्षित पकड़ लिया। जब उसे पकड़ा गया, तब उसका पेट फूला हुआ था, जिससे अंदाजा लगाया गया कि उसने शायद किसी मेमने या बिल्ली का शिकार किया था।

खास मेहमान बना रहा लक्षद्वीप में

वन विभाग ने उसे एक विशेष पिंजरे में रखा और उसकी देखभाल शुरू की। वो खाना नहीं खा रहा था, लेकिन एक बोरे में छिपकर आराम करता रहा। विभाग ने नौ दिनों तक उसकी देखरेख की, फिर जरूरी अनुमति लेकर उसे वापस केरल लाया गया।

लौट आया अपने असली घर

27 जून को अजगर को कोचीन पोर्ट लाया गया, जहां से उसे एर्नाकुलम जिले के कोडनाड रेंज स्थित मेक्कपाला फॉरेस्ट स्टेशन ले जाया गया। वहां वेटरनरी डॉक्टर ने जांच कर पुष्टि की कि अजगर पूरी तरह स्वस्थ है। उसी दिन उसे जंगल में छोड़ दिया गया – वहीं, जहां वह असल में रहता है हरियाली, पानी और प्रकृति के बीच।

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