इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को ये कह कर जमानत दे दी कि पीड़िता एक वयस्क और पढ़ी लिखी होने के नाते, अपने लिए "मुसीबत मोल ले रही थी"। जस्टिस संजय कुमार सिंह ने निश्चल चांडक को जमानत देते हुए टिप्पणी की कि अगर महिला के आरोपों को सही मान भी लिया जाए, तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि घटना के लिए वह खुद भी जिम्मेदार है। जज ने इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वह एक पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा है, जिसका कोर्ट के अनुसार मतलब यह था कि वह "अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम थी।"
महिला ने 23 सितंबर 2024 को FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चांडक ने दो दिन पहले एक बार में नशे में धुत होने के बाद उसके साथ बलात्कार किया और उसे एक रिश्तेदार के फ्लैट में भी ले जाया गया।
उसने बताया कि वह इतनी नशे में थी कि वह विरोध नहीं कर सकी और वह यह सोचकर उसके साथ चली गई कि वे उसके घर जा रहे हैं, ताकि वह आराम कर सके। लेकिन इसके बजाय, उसने कथित तौर पर उसके साथ दो बार बलात्कार किया।
हालांकि, अदालत ने दोष का कुछ हिस्सा पीड़िता पर डालते हुए कहा कि उसने अपनी इच्छा से बार में शराब पी थी और वह सुबह 3 बजे तक वहीं रही, और इसके बाद उसने आरोपी के साथ जाने का निर्णय लिया।
अदालत ने एक विवादित टिप्पणी में कहा, "उसने खुस मुसीबत को आमंत्रित किया और वह इसके लिए जिम्मेदार भी है।"
यह स्वीकार करते हुए कि मेडिकल जांच के दौरान पीड़िता की हाइमन फटी हुई पाई गई थी, अदालत ने कहा कि डॉक्टर की ओर से यौन उत्पीड़न के संबंध में कोई निर्णायक राय नहीं दी गई थी।
इसका हवाला देते हुए, साथ ही आवेदक के सहमति से हुई मुलाकात के दावे और उसके आपराधिक इतिहास की कमी के आधार पर, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि "जमानत के लिए उपयुक्त मामला" बनाया गया था।
राज्य ने जमानत आवेदन का विरोध किया, लेकिन बचाव पक्ष की ओर से बताए गए मूल तथ्यात्मक अनुक्रम पर विवाद नहीं किया, जिसमें पीड़िता का बार में जाना और उसके बाद की घटनाएं शामिल थीं।