पिछले दो दिनों में मध्य, पश्चिमी और पूर्वी भारत के बड़े हिस्से में पहुंचने वाला दक्षिण-पश्चिमी मानसून अगले 2 से 3 दिनों में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में दस्तक दे सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, 20 जून से 25 जून के बीच हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित उत्तर-पश्चिमी भारत के बड़े हिस्सों में बारिश का अनुमान है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, IMD के एक अधिकारी ने कनफर्म किया है कि मानसून अपनी सामान्य तारीख 30 जून से पहले ही 22 जून तक दिल्ली पहुंच सकता है। IMD के मुताबिक, अगले सप्ताह देश के बाकी हिस्सों में भी सामान्य तारीख से पहले ही मानसून की बारिश होने की संभावना है। जून की शुरुआत से ही बारिश की कमी के कारण तापमान में तेज बढ़ोतरी हुई, जिससे 8-9 जून से उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत के बड़े हिस्से में लोगों को लू की स्थिति का सामना करना पड़ा।
इस साल 24 मई को ही केरल पहुंच गया मानसून
मानसून आमतौर पर 1 जून तक केरल में दस्तक देता है, 11 जून तक मुंबई पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में मौसम के इस सिस्टम के कारण बारिश होती है। 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। लेकिन इस साल मानसून 24 मई को ही केरल पहुंच गया। इससे पहले साल 2009 में ऐसा देखा गया था, जब मानसून 23 मई को ही केरल पहुंच गया था।
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर काफी ज्यादा लो प्रेशर की मदद से, मानसून अगले कुछ दिनों में तेजी से आगे बढ़ा और 29 मई तक मुंबई सहित मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और पूरे पूर्वोत्तर को कवर कर लिया। हालांकि, इसके बाद 29 मई से 16 जून तक लगभग 18 दिनों तक लंबे समय तक यह स्थिर रहा। IMD के मुताबिक, पश्चिम बंगाल और गुजरात पर कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण मानसून 16 जून से 18 जून तक तेजी से आगे बढ़ा।
इस बार कितनी बारिश होने की उम्मीद
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मानसून के आने की तारीख सीधे तौर पर कुल मौसमी वर्षा से संबंधित नहीं है। केरल या मुंबई में इसके जल्दी या देरी से आने से यह जरूरी नहीं है कि देश के अन्य हिस्सों में भी यह इसी तरह पहुंचेगा। मई में, IMD ने पूर्वानुमान लगाया था कि भारत में जून-सितंबर मानसून के मौसम के दौरान 87 सेमी के लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) के 106 प्रतिशत के बराबर बारिश होने की संभावना है। इस 50 साल के औसत के 96 प्रतिशत और 104 प्रतिशत के बीच बारिश को "सामान्य" माना जाता है।
लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के आस-पास के इलाकों, पूर्वोत्तर और बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ अलग-अलग इलाकों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की जा सकती है। भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का जरिया है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है।