साड़ी ज्यादातर भारतीय महिलाओं का पसंदीदा परिधान है। हो भी क्यों न, साड़ियां होती ही इतनी खूबसूरत हैं और ये किसी भी महिला को कभी निराश नहीं करती है। साड़ी पहनने के बाद हर स्त्री खूबसूरत लगती है। जितने तरह की साड़ियां हमारे देश में बनती हैं, उतनी ही तरीके हैं इन्हें बांधने के। हमारे देश में बनने वाली तमाम साड़ियों में से एक है बनारसी साड़ी। ये ऐसी साड़ियां हैं, जो हर महिला के पास कम से कम एक तो होती ही है।
वैसे बनारसी साड़ी चाहे इनके पास कितनी ही क्यों न हो और खरीदने की चाह कभी नहीं जाती। और फिर इस समय तो शादियों का सीजन है। ऐसे में किसी खास रिश्तेदार या दोस्तों की शादी में पहनने के लिए बहुत सी महिलाएं नई साड़ी भी खरीदती हैं। लेकिन आजकल कई जगहों पर बनारसी साड़ी के नाम पर काफी कम दाम की साड़ियां बिक रही हैं। ऐसे में आप भी ये साड़ियां खरीदन में धोखा न खा जाएं, इसके लिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं।
बनारसी साड़ी पहचानने के 7 टिप्स
बनारसी साड़ी भारतीय परंपरा और शान का प्रतीक है। इसे खरीदते समय सावधानी बरतें और यहां बताए गए तरीकों से असली और नकली में फर्क करें।
भरोसेमंद जगह से खरीदें : बनारसी साड़ी की खरीदारी हमेशा विश्वसनीय दुकान या सरकारी एम्पोरियम से करनी चाहिए। ऑनलाइन खरीदते समय ब्रांड और रिव्यू जरूर देखें।
सिल्क मार्क टैग जरूर देखें : सिल्क मार्क टैग असली बनारसी साड़ी की सबसे जरूरी पहचान हैं। यह भारत सरकार द्वारा प्रमाणित है और असली सिल्क की गारंटी देता है।
असली बनारसी में होती है बारीक बुनाई : असली बनारसी साड़ी में बुनाई बेहद बारीक और जटिल होती है। डिजाइन के पीछे उल्टी तरफ भी पैटर्न साफ दिखता है। मशीन से बनी नकली साड़ियों में ऐसा नहीं होता है।
सस्ती नहीं होती असली बनारसी साड़ी : असली बनारसी साड़ी सस्ती नहीं होती। अगर कोई साड़ी बहुत कम कीमत पर मिल रही है, तो वह नकली होने की संभावना है।
जरी से भी कर सकते हैं पहचान : असली बनारसी साड़ी में जरी असली धातु से बनी होती है। नकली साड़ियों में प्लास्टिक या सिंथेटिक धागे का इस्तेमाल होता है। असली जरी को हल्का खुरचने पर पीला या सिल्वर रंग दिखेगा, जबकि नकली में प्लास्टिक की परत निकल सकती है।
जलाकर देखें : अगर शक हो तो जरी का छोटा धागा जलाकर देख सकते हैं। असली जरी जलने पर राख बनती है, जबकि नकली प्लास्टिक की तरह पिघलती है।