अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1.2 लाख करोड़ डॉलर के ट्रेड डेफिसिट को खत्म करने के लिए नेशनल इकोनॉमिक इमर्जेंसी लगाई है। उन्होंने 2 अप्रैल को करीब 180 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया। बजट लैब के मुताबिक, यह 1872 के बाद सबसे ज्यादा टैरिफ है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब वेटेड एवरेज टैरिफ बढ़कर 29 फीसदी हो गया है। अमेरिका ने न्यूनतम 10 फीसदी से लेकर मैक्सिमम 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया है। ट्रंप के इस ऐलान ने दुनियाभर में तहलका मचाया है।
1977 के इंटरनेशनल इमर्जेंसी इकोनॉमी पावर्स एक्ट का इस्तेमाल
अमेरिकी इकोनॉमी पर नजर रखने वाले इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि ट्रंप (Donald Trump) के इस कदम से अमेरिका को नफा से ज्यादा नुकसान होगा। यहां तक कि अमेरिकी इकोनॉमी के रिसेशन में जाने तक की आशंका जताई जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाने के लिए 1977 के इंटरनेशनल इमर्जेंसी इकोनॉमी पावर्स एक्ट का इस्तेमाल किया है। उन्होंने इसे नेशनल इमर्जेंसी बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश और इसके लोगों को 50 साल से ज्यादा समय से नुकसान झेलना पड़ा है।
1997 से 2004 के बीच मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी 50 लाख नौकरियां खत्म हुई
व्हाइट हाउस ने जो जानकारियां साझा की है, उसके मुताबिक अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को इतिहास को सबसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। 1997 से 2004 के बीच मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी 50 लाख नौकरियां खत्म हो गई हैं। ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में अमेरिका की हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट आई है। यह 2008 में 28.4 फीसदी से घटकर 2023 में 17.4 फीसदी पर आ गई। अमेरिका ने जो रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है, वह तब तक लागू रहेगा जब तक ट्रंप को यह नहीं लगता है कि अमेरिका ट्रेड डेफिसिट संतोषप्रद लेवल पर आ गया है।
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अमेरिकी इकोनॉमी को 728 अरब डॉलर का फायदा होगा
एग्जिक्यूटिव ऑर्डर से ट्रंप को इस टैरिफ को बढ़ाने का भी अधिकार मिल गया है। अगर उन्हें लगता है कि अमेरिका को टैरिफ में बढ़ोतरी करने की जरूरत है तो वह उसे बढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। व्हाइट हाउस का कहना है कि ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी इकोनॉमी को 728 अरब डॉलर का फायदा होगा। साथ ही इससे 28 लाख नौकरियों के मौके बढ़ जाएंगे। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होंगे। अमेरिका लोगों को महंगाई की समस्या का सामना करना पड़ेगा। इसका असर कंजम्प्शन पर पड़ेगा, जो पहले से ही कमजोर चल रहा है। इससे इस साल के अंत तर मंदी आ सकती है।