पाकिस्तानी सेना ने खैबर पख्तूनख्वा में अपने ही लोगों पर एयरस्ट्राइक किया, जिसमें करीब 30 लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने इन हवाई हमलों में मारे गए नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की है। वहीं इस एयरस्ट्राइक के बाद वहां की स्थानीय लोगों ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लोग इस हमले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
लोगों ने खोला पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा
सीएनएन-न्यूज़18 की रिपोर्ट के मुताबिक, तिराह घाटी में 30 बेगुनाह लोगों की हत्या के खिलाफ सोमवार को खैबर चौक पर धरना जारी है और खबर है कि पेशावर में भी एक और प्रदर्शन हो सकता है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि अकाखेल कबीले ने तय किया है कि महिला पीड़ितों को दफनाया जाएगा, जबकि पुरुषों और बच्चों के शवों को विरोध के तौर पर कोर कमांडर हाउस के सामने रखा जाएगा।
गांव पर पाकिस्तानी सेना ने गिराए 6 बम
खैबर पख्तूनख्वा और आसपास के इलाकों में सुबह करीब 2 बजे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने तिराह घाटी के मत्रे दारा गांव पर आठ एलएस-6 बम गिराए, जिससे कई निर्दोष लोग हताहत हो गए। टीटीपी के बढ़ते हमलों के जवाब में पाकिस्तान ने उत्तर-पश्चिम इलाकों में सख्त कार्रवाई शुरू की है। हाल ही में हुए एक अभियान में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू और लकी मरवत जिलों में रातभर चले छापों के दौरान 31 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया।
अधिकारियों के मुताबिक, इन कार्रवाइयों का मकसद टीटीपी की ताकत को कमजोर करना और उसके ढांचे व नेतृत्व को निशाना बनाना है ताकि हमलों की क्षमता घटाई जा सके। लेकिन इन अभियानों पर सवाल भी उठे हैं क्योंकि कई जगह नागरिकों की मौत हुई है। मार्च 2025 में मर्दन जिले के कटलांग इलाके में हुए ड्रोन हमले में सेना ने आतंकवादियों को निशाना बनाने का दावा किया था, मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें आम नागरिक मारे गए। इसी तरह मई 2025 में उत्तरी वजीरिस्तान के हुरमुज गांव पर हुए ड्रोन हमले में चार बच्चों की मौत और कई लोगों के घायल होने की खबर सामने आई।
कहां है खैबर पख्तूनख्वा
बता दें क, अफग़ानिस्तान की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान का खैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत करीब 1,01,741 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहा लगभग 4 करोड़ लोग रहते हैं। इसकी ज़्यादातर आबादी पश्तून है, जो कुल जनसंख्या का करीब 75 से 80 प्रतिशत हिस्सा बनाती है। इसके अलावा हिंदको, चित्राली और कोहिस्तानी जैसे छोटे समुदाय भी यहां रहते हैं। पश्तो यहां की मुख्य भाषा है, जबकि कुछ लोग हिंदी और उर्दू भी बोलते हैं। खास सांस्कृतिक पहचान होने के बावजूद ख़ैबर पख़्तूनख़्वा को पाकिस्तान में ऐसे तरीके से जोड़ा गया था, जिसे कई लोग सही नहीं मानते। इसी विवादित विलय ने लंबे समय से यहां के लोग पाकिस्तान के खिलाफ हैं और अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं।
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