अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए हैं। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बुधवार को भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं से अलग-अलग बातचीत की और दोनों परमाणु संपन्न देशों से संवाद बहाल करने और संयम बरतने की अपील की।
पहालगाम हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जिसे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मोहरा माना जाता है। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है।
एक अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट अधिकारी ने बताया, "यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मार्को रुबियो ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत बहाल करने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।" रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बातचीत के दौरान भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी समर्थन की भी पेशकश की।
वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात करते हुए, अमेरिका ने पाकिस्तान से इस "निर्मम हमले" की जांच में सहयोग देने को कहा है। दूसरी ओर शरीफ सरकार ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि वह भारत से तीखी बयानबाजी कम करने को कहे।
यह अमेरिका की ओर से सबसे उच्च स्तरीय सार्वजनिक कूटनीतिक हस्तक्षेपों में से एक है जो सीधे तौर पर भारत-पाक तनाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
भारत ने इस हमले के बाद कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की एयरलाइनों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिए हैं। नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ा सबक सिखाने की बात कही है। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से बयान आया कि उसे भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की आशंका है।