तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी जल्द ही भारत का दौरा करेंगे। यह दौरा भारत सरकार और तालिबान के बीच राजनयिक संबंधों की पहली बड़ी शुरुआत मानी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल मुत्ताकी को 30 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से यात्रा की मंज़ूरी मिली थी।
अपनी यात्रा के दौरान, मुत्ताकी भारत का समर्थन पाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इस दौरान उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस. जयशंकर से होगी। यह दोनों नेताओं के बीच दूसरी बातचीत और पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी। गौरतलब है कि इससे पहले दोनों की पहली बातचीत 15 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हुई थी।
मुत्ताकी-जयशंकर मुलाकात का एजेंडा
तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, विदेश मंत्रालय की ओर से अभी तक इस यात्रा पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। संभावना है कि बातचीत में भारत-तालिबान संबंध, काउंटर टेररिज्म कोऑपरेशन और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा हो। भारत लगातार अफग़ानिस्तान को मानवीय सहायता भेजता रहा है, लेकिन दोनों देशों के रिश्ते अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं। इसी तनाव के चलते 2023 में नई दिल्ली स्थित अफ़ग़ान दूतावास को बंद करना पड़ा था। माना जा रहा है कि मुत्ताकी इस मुद्दे को भी एजेंडे में शामिल करेंगे। इसके अलावा, वह भारत से सरकारी स्तर पर बातचीत दोबारा शुरू करने की बात उठा सकते हैं। साथ ही चिकित्सा सेवाओं, बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं और विकास कार्यों में भारत से अधिक सहयोग की मांग भी कर सकते हैं।
आमिर खान मुत्तकी कौन हैं?
आमिर खान मुत्तकी, हाजी नादिर खान के बेटे हैं। उनका जन्म 1970 में अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रांत के ज़रघुन इलाके में हुआ था। सोवियत-अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान चला गया, जहां उन्होंने अफ़ग़ान शरणार्थियों के लिए बने स्कूलों में धार्मिक और पारंपरिक शिक्षा हासिल की। तालिबान सरकार की वेबसाइट के अनुसार, मुत्तकी हेलमंद में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ सक्रिय "जिहादी" रहे। इसके बाद वे तालिबान के प्रमुख वार्ताकार और प्रवक्ता बने और ताशकंद, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, जेद्दा और सऊदी अरब में कई अहम बातचीतों में शामिल रहे।
1994 में, उन्होंने कंधार स्थित रेडियो स्टेशन के महानिदेशक का पद संभाला और तालिबान की उच्च परिषद के अहम सदस्य बने। इसके अलावा, पिछली तालिबान सरकार के समय वह कंधार में सूचना एवं संस्कृति महानिदेशक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
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