एनर्जी वैल्यू चैन को फाइनेंसिंग सॉल्यूशन्स मुहैया कराने वाली पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज (PFS) में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। केंद्रीय बैंक RBI ने इसे लेकर कंपनी के चेयरमैन को पत्र लिखा है। RBI ने गवर्नेंस, कम्प्लॉयंस, बिजनेस और ऑपरेशन से जुड़े रिस्क को लेकर चेयरमैन को तत्काल अपना ध्यान लगाने को कहा है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक सुपरवाइजरी एसेसमेंट के दौरान इनमें क्रिटिकल गैप पाया गया और इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। RBI ने निरीक्षण रिपोर्ट, रिस्क की मूल्याकंन रिपोर्ट और 6 सितंबर को सुपरवाइजरी बैठक के आधार पर 18 सितंबर को कंपनी को यह पत्र भेजा है। हालांकि इसका शेयरों पर कोई असर नहीं दिख रहा है और आज बीएसई पर यह 1 फीसदी उछल गया।
किन गड़बड़ियों की तरफ दिलाया ध्यान
31 मार्च 2022 तक की रिस्क मूल्यांकन रिपोर्ट और निरीक्षण रिपोर्ट के मुताबिक RBI ने पाया कि लोन बांटने से जुड़े नियमों का पालन नहीं हुआ। इसके अलावा कंपनी के एक टॉप अधिकारी को जरूरत से अधिक अपने हिसाब से फैसले लेने की शक्ति मिली जो रिस्क मैनेजमेंट और इसके गवर्नेंस फ्रेमवर्क की मजबूती के हिसाब से चिंता की बात है। केंद्रीय बैंक ने आरबीआई एक्ट, 1934 के सेक्शन 45एन के तहत 7-21 दिसंबर 2022 के बीच कंपनी की ऑफ-साइट एसेसमेंट और सुपरवाइजरी एवैल्यूएशन का निरीक्षण किया। इसके आधार पर ही 17 अगस्त 2023 को कंपनी को रिस्क एसेसमेंट रिपोर्ट और इंस्पेक्शन रिपोर्ट भेजा गया।
केंद्रीय बैंक ने लिखा है कि कंपनी सचिव और स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति में गड़बड़ियां हुई हैं। इसमें गड़बड़ी ये हुई है कि विज्ञापन में जो खूबियां मांगी गई थीं, उसे हल्का करके नियुक्ति की गई और उम्मीदवारों को शॉर्ट नोटिस पर यानी फटाफट इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। रिस्क एसेसमेंट रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नए स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति को अतिरिक्त एजेंडे के रूप में 25 जून की बैठक में बोर्ड के समक्ष रखा गया था। उस समय स्वतंत्र निदेशकों ने आपत्ति जताई थी कि यह जल्दबाजी में किया गया था और उस दिन किया गया जब एक स्वतंत्र निदेशक छुट्टी पर थे। दो स्वतंत्र निदेशकों की कड़ी आपत्ति और एजेंडे के खिलाफ मतदान करने के बावजूद कमेटी के प्रमुख और मैनेजमेंट ने पक्ष में मतदान किया।
जनवरी 2022 से ही विवादों में PTC Financial
यह NBFC जनवरी 2022 से विवादों में घिरी हुई है जब कॉरपोरेट गवर्नमेंट से जुड़े मुद्दे के चलते इसके तीन स्वतंत्र निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया। एक ने जनवरी 2022, दूसरे ने नवंबर 2022 और फिर तीसरे स्वतंत्र निदेशक ने दिसंबर 2022 में इस्तीफा दिया था। इसके बाद से ही RBI और SEBI इसकी जांच कर रही है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) ने 27 जून को तीन आदेश के जरिए PFS और इसके पूर्व एमडी और सीईओ पवन सिंह को सजा सुनाई।
इसके अलावा सेबी ने 8 मई को पीटीसी इंडिया और पीएफएस के चेयरमैन राजीब मिश्र और पवन सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया। PFS मे इनके प्रभाव को देखते हुए कॉरपोरेट गवर्नेंस में चूक के लिए सेबी ने इन्हें जिम्मेदार ठहराया। RBI के आदेश पर पवन को जून के आखिरी में छुट्टी पर भेज दिया गया और पैरेंट कंपनी पीटीसी के एमडी और सीईओ राजीब की नियुक्ति को 28 जून को मंजूरी दी गई। हालांकि यह मंजूरी ऐसे समय में दी गई, जब नियामकीय जांच चल ही रही है।
आरबीआई ने कंपनी को इस्तीफा देने वाले तीनों स्वतंत्र निदेशकों के इस्तीफे में जो भी शिकायतें उठाई गई हैं, उनका रिव्यू करने का आदेश दिया है। इसके अलावा नियुक्तियों में अनियमितताओं और एमडी-सीईओ को दी गई अत्यधिक शक्तियों पर भी गौर करने को कहा है। कंपनी को सालाना वित्तीय खातों को अंतिम रूप देने में देरी पर ध्यान देने को कहा गया है। NPA को बेहतर तरीके से मैनेज करने और इंफॉर्मेशन सिस्टम को मजबूत करने को कहा गया है। कंपनी को एक ड्राफ्ट रिस्क मिटिगेशन प्लान (RMP) तैयार करना है जिसमें टाइमलाइन भी होगा। इसके अलावा 30 दिनों के भीतर बोर्ड की बैठक बुलाने को कहा गया है जिसमें इन सभी मसलों पर चर्चा होगी और फिर बोर्ड में क्या हुआ, इसे बताना है।