मॉनसून के आते ही देशभर के किसान खरीफ की खेती की तैयारी में लग जाते हैं, वहीं बुंदेलखंड के किसान भी तैयारियों में जुट गए है। इस बार सरकार ने सोयाबीन की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर ₹5328 प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले साल की तुलना में ₹436 ज्यादा है। इसके बाद से ही किसानों को सबसे बड़ी सोयाबीन की फसल से है। हाल के कुछ सालों में नुकसान झेलने के कारण कई किसान सोयाबीन की खेती से पीछे हट गए थे। अब सरकार के इस कदम से किसानों में नई ऊर्जा और उम्मीद देखने को मिल रही है।
अब विशेषज्ञों ने सोयाबिन की खेती के लिए नई तकनीकों और बेहतर बीजों की सलाह दी है, जो फसल की पैदावार को दोगुना तक बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। इससे किसानों को फिर से इस फसल की ओर लौटने की उम्मीद जगी है।
सागर कृषि कॉलेज के वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा, अब किसानों को खेती के लिए पारंपरिक तरीके की जगह "रेजर बेड प्लांटर" तकनीक अपनानी चाहिए। इस पद्धति में खेत में ऊंचे-नीचे बेड बनाए जाते हैं, जिससे ज्यादा बारिश होने पर पानी आसानी से निकल जाता है और कम बारिश होने पर बेड की नमी से फसल को जरूरी पानी मिल जाता है। इस तकनीक के लिए अब मशीनें बाजार में मिल रही हैं और कई जिलों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
डॉ. त्रिपाठी का सुझाव है कि काली मिट्टी वाले खेतों में किसान ऐसे सोयाबीन बीज चुनें जो करीब 100 से 105 दिन में तैयार हो जाते हैं। जैसे – जवाहर सोयाबीन 2172, 2069, 2098 और RBS 1135। ये किस्में की बीज तेजी से उगती हैं, समय पर पकती हैं और दाने भी मोटे व ज्यादा उत्पादन देने वाले होते हैं। अगर बीजों का अंकुरण 70% तक है, तो बुआई के लिए 30 से 32 किलो बीज प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करना ठीक रहेगा। जैसे ही इलाके में करीब 4 इंच बारिश हो जाए, बुआई शुरू कर देनी चाहिए।
सरकार ने सोयाबीन का MSP बढ़ाने के बाद किसानों के पास अच्छी कमाई का मौका है। किसान सही तरीके से सोयाबीन की खेती करके मुनाफा कमा सकते है।