Budget 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इंफोसिस के पूर्व सीएफओ टीवी मोहनदास पई की सलाह मानते हुए टैक्स में कमी करने जा रही हैं। इसका ऐलान वह 1 फरवरी को यूनियन बजट में करेंगी। पई कई बार सरकार को इनकम टैक्स में कमी करने की सलाह दे चुके हैं। कुछ हफ्ते पहले उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बारे में पोस्ट किया था। उनका कहना है कि मिडिल क्लास पर अभी टैक्स काफी ज्यादा है। इसे घटाने की जरूरत है।
5 लाख तक की इनकम टैक्स-फ्री
पई का कहना है कि इनकम टैक्स में कमी से लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। उनका मानना है कि सालाना 5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगना चाहिए। 5-10 लाख रुपये तक की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स होना चाहिए। 10-20 लाख रुपये तक की इनकम पर 20 फीसदी होना चाहिए। 20 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स होना चाहिए। इससे मिडिल क्लास को काफी राहत मिलेगी।
पई ने सरकार को ज्यादातर डिडक्शन (Tax Deduction) और एग्जेम्प्शन (Tax Exemption) खत्म करने की भी सलाह दी है। उनका कहना है कि टैक्सपेयर्स को सिर्फ इंश्योरेंस और दान की रकम पर डिडक्शन मिलना चाहिए। इंश्योरेंस पर डिडक्शन इसिलए जरूरी है, क्योंकि इंडिया में सरकार की तरफ से सोशल सिक्योरिटी लोगों को नहीं मिलती है। इसलिए लोगों के पास लाइफ और हेल्थ पॉलिसी होना जरूरी है। टैक्स में डिडक्शन मिलने से लोगों की दिलचस्पी इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स में बढ़ेगी।
टैक्स के विवादित मामलों का जल्द निपटारा
उनका मानना है कि इनकम टैक्स से जुड़े विवाद के मामलों के निपटारे पर भी सरकार को फोकस बढ़ाना चाहिए। इनकम टैक्स के विवादित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2014 में इनकम टैक्स के विवाद के मामलों की संख्या 4.5 लाख थी। 2024 में यह बढ़कर 12.5 लाख हो गई। करीब 5.65 लाख मामले कमिश्नर के स्तर पर लंबित हैं। विवादित मामलों की यह संख्या बिजनेस की ग्रोथ में बड़ी रुकावट है। उन्होंने टैक्स को लेकर लोगों को परेशान करने के मामलों पर भी रोक लगाने की मांग की।
इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स से बढ़ रहा रेवेन्यू
इंडिविजुअल टैक्सपैयर्स से सरकार का टैक्स कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है। दो साल पहले यह करीब 7 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल यह बढ़कर 10.35 लाख करोड़ रुपये हो गया है। FY25 में इसके 13 लाख करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। इसके मुकाबले कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन में सिर्फ 8 फीसदी इजाफा हुआ है। नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 21 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन के तहत आते हैं।