Budget 2025 : बजट में सस्ता होगा रोटी-कपड़ा और मकान, निर्मला सीतारमण से मिडिल क्लास को हैं ये उम्मीदें
Budget 2025: हर बार की तरह इस बार भी महंगाई और टैक्स का बोझ झेल रहे मिडिल क्लास लोगों को उम्मीद है कि बजट 2025 में उन्हें सरकार कुछ तो राहत देगी। क्योंकि महंगाई दिनों दिन आसमान छूती जा रही है और आम इंसान की जेब पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है। देश फिलहाल कमजोर आर्थिक ग्रोथ, गिरते रुपए और दुनिया में चल रही उठापटक से जूझ रहा है
Budget 2025 : जीवन के बस तीन निशान, रोटी-कपड़ा और मकान...मनोज कुमार के फिल्म का ये डायलॉग काफी पुराना है पर आम आदमी के लिए आज भी यही जीने के लिए ये तीन आधार की जरूरत होती है। बता दें कि आम बजट से पहले आम आदमी की सबसे बड़ी चिंता मंहगाई है और रोटी, कपड़ा और मकान—ये तीनों बुनियादी जरूरतें लगातार महंगी होती जा रही हैं। मिडिल क्लास लोगों की निगाहें, तो इसी पर टिकी रहती हैं कि इस बार वित्त मंत्री के पिटारे से हमारे लिए क्या कुछ खास निकलने वाला है। वहीं इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने चुनौती होगी कि वे इन आवश्यक वस्तुओं को फिर से सस्ता बनाने के लिए क्या कदम उठाती हैं।
हर बार की तरह इस बार भी महंगाई और टैक्स का बोझ झेल रहे मिडिल क्लास लोगों को उम्मीद है कि बजट 2025 में उन्हें सरकार कुछ तो राहत देगी। क्योंकि महंगाई दिनों दिन आसमान छूती जा रही है और आम इंसान की जेब पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है।
देश फिलहाल कमजोर आर्थिक ग्रोथ, गिरते रुपए और दुनिया में चल रही उठापटक से जूझ रहा है, तो ऐसे में ये और भी अहम हो जाता है कि बजट में इस बार ऐसे क्या उपाय किए जाएं, जो आम जनता और खास मध्य वर्ग के लोगों के लिए राहत लेकर आएं।
तो चलिए जानते हैं एक मिडिल क्लास इंसान की बजट 2025 से क्या उम्मीदें हैं और उसे किन-किन मोर्चों पर राहत चाहिए:
बाकी जो कुछ बचा तो मंगाई मार गई
"शक्कर में ये आटे की मिलाई मार गई
पौडर वाले दुद्ध दी मलाई मार गई
राशन वाली लैन दी लंबाई मार गई
जनता जो चीखी चिल्लाई मार गई,
बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई"
संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के इस गाने की एक-एक लाइन आज भी आम जनता की हालत बयां करती है। यही सच्चाई है कि मिडिल क्लास को तो महंगाई ही मार गई। पहले अपनी कमाई से जो थोड़ी बहुत सेविंग्स हो भी जाती थी, तो आज रोजमर्रा के खर्च पूरे करना भी मुश्किल हो रहा है। तेल के दाम, गैस के दाम, खाने-पीने की चीजों के दाम... इसके दाम उसके दाम... हर चीज के दाम जनता का दम निकाले पड़े हैं।
नौकरी पेशा लोगों के हालात तो और भी ज्यादा खराब है, क्योंकि कमाई में जो भी थोड़ी बहुत बढ़त हुई है, वो महंगाई के मुकाबले बहुत कम है। इसी के चलते कई लोगों को अपने रोजमर्रा के खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है और लाइफ स्टाइल में गिरावट भी आ रही है।
ऐसे में सरकार से यही उम्मीदें हैं कि इस बार बजट में कुछ ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे खाने-पीने की चीजों की कीमत, पेट्रोल-डीजल, गैस और दूसरे जरूरी सामान कुछ सस्ते हैं और लोगों की पहुंच के भीतर हो। एक्सपर्ट्स की मानें, तो ऐसा तभी हो पाएगा, जब सरकार बेहतर सप्लाई चेन की व्यवस्था करे, ताकि कीमतों में स्थिरता बनी रहे।
इनकम पर टैक्स लगे कम
नौकरी पेशा लोगों की एक और बड़ी समस्या है- इनकम पर लगने वाला टैक्स। क्योंकि इनकम है कम और टैक्स ने निकाल दिया दम। मिडिल क्लास हर साल यही उम्मीद करती है कि सरकार इनकम टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव करेगी और टैक्स छूट की सीमा बढ़ाएगी। उम्मीद इस बार यही है, क्योंकि अभी जो टैक्स स्लैब है, उसमें मिडिल क्लास को और भी ज्यादा राहत की जरूरत है।
इसके लिए सरकार अगर इनकम टैक्स स्लैब को थोड़ा और बढ़ा दे या फिर टैक्स छूट की सीमा को ही बढ़ा दे, तो मध्य वर्ग के लोगों पर बहुत रहम होगा और निश्चित तौर पर उन्हें इससे राहत पहुंचेगी।
हेल्थ और एजुकेशन सबसे ज्यादा महंगी
आज के समय में हेल्थ और एजुकेशन ये दो एरिया ऐसे हैं, जहां किसी भी आम इंसान को न चाहते हुए भी मजबूरी में बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है। आम भाषा में कहें, तो प्राइवेट अस्पताल खाल उतार लेते हैं और सरकारी अस्पताल खुद बीमार दिखते हैं। हालांकि, सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख का मुफ्त इलाज दिया है, लेकिन फिर भी मेडिकल खर्च तो कहीं ज्यादा ही बैठता है। ऐसे में सरकार को प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसनी चाहिए और साथ ही सरकारी हेल्थ सर्विस में सुधार पर भी ध्यान देना होगा।
अब आते हैं शिक्षा पर और यहां भी प्राइवेट स्कूलों ने मनमानी फीस का जो मायाजाल बिछाया हुआ है, उससे बचना तो नामुमकिन है। स्कूली शिक्षा से लेकर हायर एजुकेशन तक...बच्चे को पढ़ाते-पढ़ाते हालत खराब हो जाती है। सरकारी स्कूलों के हालात तो सभी जानते हैं। एजुकेशन लोन लेने भी जाएं, तो पहले वो मिलना ही मुश्किल और मिल भी जाए, तो ब्याज दर देख कर ही डर जाते हैं।
इसलिए आम बजट से इस बार यही उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च को काबू करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। मेडिकल और शिक्षा खर्चों पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया जाए या फिर सब्सिडी जैसा कोई रास्ता खोजा जाए।
कम ब्याज और घर का सापना
रोटी और कपड़ा के अलावा मिडिल क्लास की और बड़ी जरूरत है घर। कहते हैं घर बनाने में पूरी उम्र बीत जाती है। ऐसे महंगाई को घर बनाने की सोचे भी और उसके लिए लोन ले भी, तो उस पर ब्याज बहुत ज्यादा होता है। होम लोन पर लगने वाले ब्याज की दर काफी ऊंची हैं।
इसलिए बजट में मिडिल क्लास को और उम्मीद यही है कि सरकार कोई ऐसा कदम उठाए की होम लोन पर लगने वाला इंटरेस्ट रेट कम हो, ताकि मिडिल क्लास अपने घर का सपना पूरा कर सके।
जब नौकरी मिलेगी तो क्या होगा...
अब तक हम बात कर रहे थे महंगाई, खर्च और इनकम की... लेकिन एक बड़ा फैक्टर है रोजगार.. वो कहते हैं न- जब नौकरी मिलेगी तो क्या होगा, जिसम पे सूट होगा, पांव में बूट होगा... जी हां, जब नौकरी होगी तो पैसा आएगा, पैसा आएगा तो ही तो खर्च होगा।
कई रिपोर्ट में ऐसा बताया गया है कि Covid-19 के बाद से रोजगार के मोर्चे पर हालत नहीं सुधरे हैं। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट की मानें, तो UPA सरकार के मुकाबल NDA सरकार में बेरोजगारी 1% ज्यादा है।
UPA काल में औसत बेरोजगारी दर 5.6% थी, जबकि NDA में ये 6.6 फीसदी है। इसलिए बजट में सरकार से उम्मीद है कि नौकरी बढ़ाने पर कुछ ठोस उपाय करे। विशेषज्ञों की मानें, तो छोटे उद्योगों और MSME सेक्टर को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि उससे मिडिल क्लास के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।