इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कमी ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार को अगर 2047 तक विकसित देश बनना है तो जीडीपी ग्रोथ बढ़ानी पड़ेगी। 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इकोनॉमिस्ट्स के साथ बजट के बारे में चर्चा की। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार को रोजगार के मौके बढ़ाने सहित कई उपाय करने होंगे। मनीकंट्रोल ने इस बारे में ईवाय इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी से बातचीत की। उनसे जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने के उपायों के बारे में पूछा।
डिसइनवेस्टमेंट पर फोकस बढ़ाना होगा
मेमानी ने कहा कि सरकार को जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) बढ़ाने के लिए डिसइनवेस्टमेंट (Disinvestment) पर फोकस बढ़ाना पड़ेगा। टैक्स डिसप्यूट्स के मामलों में कमी के उपाय करने होंगे। लेबर-इनटेंसिव सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए स्कीम शुरू करनी होगी। इससे इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में यूनियन बजट में उपायों का ऐलान कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने फिस्कल डेफिसिट को कम करने पर फोकस बढ़ाया है।
दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कमी
उन्होंने कहा कि 2024 में लोकसभा चुनाव जैसा बड़ा इवेंट था। इसका असर इकोनॉमिक ग्रोथ पर पड़ा। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही की जीडीपी ग्रोथ के डेटा से यह बात साफ हो गई है। सरकार ने इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाया था। लेकिन, चुनावी आचार संहिता की वजह से दो-तीन महीने पहले उसे पूंजीगत खर्च में कमी करनी पड़ी। उसके बाद गर्मी का मौसम शुरू हो गया। इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा। उसके बाद मानसून की वजह से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ गईं। इसका असर जीडीपी की ग्रोथ पर पड़ा।
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लेबर इनसेंटिव सेक्टर्स में रोजगार के मौके बढ़ाने होंगे
उन्होंने कहा कि आर्थिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए लेबर इनटेंसिव सेक्टर्स पर फोकस बढ़ाने की जरूरत है। अमेरिका में इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ने से टेक्नोलॉजी सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है। इंडियन टेक्नोलॉजी कंपनियों के रेवेन्यू में अमेरिकी मार्केट की बड़ी हिस्सेदारी है। सरकार को मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने देने के भी उपाय करने होंगे। इसके अलावा रिफॉर्म्स पर भी फोकस बढ़ाना होगा। डिसइनवेस्टमेंट की रफ्तार बढ़ाने से सरकार के पास पूंजीगत खर्च बढ़ाने की गुंजाइश होगी। इसका इकोनॉमिक ग्रोथ पर पॉजिटिव असर पड़ेगा।