Budget 2025: बजट में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़कर होगी 2.50 लाख रुपये! सरकार बजट में करेगी ऐलान?
Budget 2025: जैसे-जैसे बजट 2025-26 का दिन नजदीक आ रहा है, टैक्सपेयर्स और निवेशकों को इनकम टैक्स प्रावधानों में बदलाव की उम्मीद है। इस बार टैक्सपेयर्स की मांग प्रमुख मांग सेक्शन 80C के तहत कटौती सीमा को बढ़ाने की है। जो 2014 से ₹1.5 लाख रुपये पर बनी है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस लिमिट को बढ़ाने से न सिर्फ टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी
Budget 2025: जैसे-जैसे बजट 2025-26 का दिन नजदीक आ रहा है, टैक्सपेयर्स और निवेशकों को इनकम टैक्स प्रावधानों में बदलाव की उम्मीद है।
Budget 2025: जैसे-जैसे बजट 2025-26 का दिन नजदीक आ रहा है, टैक्सपेयर्स और निवेशकों को इनकम टैक्स प्रावधानों में बदलाव की उम्मीद है। इस बार टैक्सपेयर्स की मांग प्रमुख मांग सेक्शन 80C के तहत कटौती सीमा को बढ़ाने की है। जो 2014 से ₹1.5 लाख रुपये पर बनी है। एक्सपर्ट का मानना है कि इस लिमिट को बढ़ाने से न सिर्फ टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, बल्कि वे अधिक सेविंग और फाइनेंशियर प्लानिंग भी कर सकेंगे।
क्या है सेक्शन 80C?
सेक्शन 80C इनकम टैक्स अधिनियम 1961 का एक प्रावधान है, जो टैक्सपेयर्स को कुछ निवेशों और खर्चों पर कटौती का लाभ देता है। इसके तहत टैक्सपेयर्स को ₹1.5 लाख तक की सालाना कटौती का फायदा मिलता है, जिससे उनकी टैक्स योग्य आय घट जाती है।
यह कटौती केवल पर्सनल टैक्सपेयर्स और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को उपलब्ध है।
कंपनियों, साझेदारी फर्मों और अन्य कारोबार के लिए यह लाभ लागू नहीं होता।
इन निवेशों पर मिलता है कटौती का फायदा
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS): 3 साल की लॉक-इन अवधि वाली यह योजना न केवल कर सेविंग का मौका देती है, बल्कि धन सृजन में भी मदद करती है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): 15 साल की लॉक-इन पीरियड वाले इस निवेश पर ब्याज और मैच्योरिटी अमाउंट टैक्स-फ्री होता है।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC): एक सुरक्षित निवेश विकल्प, जो तय ब्याज दर पर आधारित है।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs): इस योजना में निवेश पर ₹1.5 लाख तक की कर कटौती के साथ लंबे समय के लिए फाइनेंशियल सुरक्षा देता है।
जीवन बीमा प्रीमियम: जीवन बीमा पॉलिसियों पर चुकाए गए प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है।
घर के लोन पर बेसिक अमाउंट का पेमेंट : होम लोन के मूल पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है।
वरिष्ठ नागरिक सेविंग योजना (SCSS): रिटायरमेंट के बाद स्थिर इनकम वाली योजना देता है।
सुकन्या समृद्धि योजना: बालिकाओं के भविष्य के लिए सुरक्षित और टैक्स फ्री योजना।
80C की लिमिट
2014 में ₹1.5 लाख की लिमिट तय की गई थी, जो आज की बढ़ती महंगाई और टैक्सपेयर्स की जरूरतों के हिसाब से कम है।
एक्सपर्ट का कहना है कि इस लिमिट को बढ़ाकर ₹2.5 लाख या उससे अधिक करना चाहिए।
इससे टैक्सपेयर्स को अधिक सेविंग के लिए प्रेरणा मिलेगी और उनके फाइनेंशियल बोझ में कमी आएगी।
निवेश और कटौती के लिए पात्रता
केवल भारतीय और अनिवासी भारतीय (NRIs) व्यक्तिगत करदाता और HUF इस फायदे के पात्र हैं।
कटौती का लाभ उठाने के लिए फाइनेंशियल ईयर (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान निवेश या खर्च करना आवश्यक है।
सेक्शन 80C में कटौती कैसे क्लेम करें?
करदाता इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे पेमेंट रसीद और इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट देना होता है। रिटर्न दाखिल और स्वीकृत होने के बाद, कटौती के कारण टैक्सेबल इनकम घट जाती है, जिससे टैक्स देनदारी कम हो जाती है।