Budget 2025: सरकार बढ़ाएगी 80C की लिमिट, सैलरीड कर्मचारियों को मिलेगी खुशखबरी!

Budget 2025: जैसे-जैसे यूनियन बजट 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, टैक्सपेयर्स के बीच कई सुधारों को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांग सेक्शन 80C के तहत छूट की सीमा में बढ़ोतरी की है। इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के तहत पिछले दशक से 1.5 लाख रुपये पर बनी हुई है

अपडेटेड Jan 10, 2025 पर 6:30 AM
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Budget 2025: जैसे-जैसे यूनियन बजट 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, टैक्सपेयर्स के बीच कई सुधारों को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं।

Budget 2025: जैसे-जैसे यूनियन बजट 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, टैक्सपेयर्स के बीच कई सुधारों को लेकर उम्मीदें बढ़ रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांग सेक्शन 80C के तहत छूट की सीमा में बढ़ोतरी की है। इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के तहत पिछले दशक से 1.5 लाख रुपये पर बनी हुई है। जबकि महंगाई और इनकम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है लेकिन 80C की लिमिट काफी समय से नहीं बढ़ाई गई है।

क्या है सेक्शन 80C?

सेक्शन 80C आयकर अधिनियम का इस्तेमाल ज्यादातर टैक्सपेयर्स करते हैं। यह पर्सनल टैक्सपेयर्स और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) को निवेश और खर्चों पर टैक्स छूट का दावा पेश करने की इजाजत देता है। 80C के तहत छूट ओल्ड टैक्स रीजीम के तहत रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स को मिलती है। मौजूदा व्यवस्था में एक फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की छूट ली जा सकती है।


निवेश – 80C के तहत आने वाले ऑप्शन

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS)

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC)

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIP)

सुकन्या समृद्धि योजना

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)

पांच साल का टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट

दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस

होम लोन का प्रिंसिपल

जीवन बीमा प्रीमियम

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में योगदान

कैसे करें छूट का दावा?

सेक्शन 80C के तहत छूट का दावा करने के लिए टैक्सपेयर्स को वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के भीतर निवेश या खर्च करना होगा। इन राशि को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय संबंधित सेक्शन में रिपोर्ट करना होता है। निवेश और भुगतान के प्रमाण पत्र संलग्न करने से क्लेम प्रोसेसिंग में आसानी होती है।

बजट 2025 से क्या उम्मीदें हैं?

2014 के बाद से सेक्शन 80C की सीमा 1.5 लाख रुपये पर स्थिर है। टैक्सपेयर्स और वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इसे वर्तमान आर्थिक स्थिति के अनुरूप बढ़ाया जाना चाहिए। PB फिनटेक के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि सेक्शन 80C के तहत PPF और होम लोन जैसे निवेश शामिल होते हैं, जिससे छूट की सीमा जल्दी खत्म हो जाती है। यदि टर्म इंश्योरेंस को एक अलग टैक्स छूट केटेगरी में रखा जाए, तो यह जीवन बीमा को प्रोत्साहित करेगा और भारतीय परिवारों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा।

टैक्सपेयर्स के लिए क्या मायने रखती है यह लिमिट?

अगर बजट 2025 में इस लिमिट को बढ़ाया जाता है, तो यह न केवल टैक्सपेयर्स को राहत देगा बल्कि आर्थिक बचत योजनाओं में अधिक निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा।

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