साल 2025 शुरू हो चुका है। सरकार के लिए 2025 में न सिर्फ इकोनॉमी बल्कि स्टॉक मार्केट्स की तस्वीर बदलने का बड़ा मौका है। यह मौका यूनियन बजट 2025 है। पिछले साल सरकार ने दो बजट पेश किए थे। पहला बजट 1 फरवरी, 2024 को आया था। यह अंतरिम बजट था। भले ही यह बजट लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आया था, लेकिन सरकार ने इसमें बड़े ऐलान करने से परहेज किया था। 23 जुलाई को पेश दूसरे बजट में सरकार ने कुछ बड़े ऐलान किए थे। इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव किए थे। स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया था। कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव किए थे।
जीडीपी ग्रोथ बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती
1 फरवरी, 2025 को Union Budget 2025 में सरकार इकोनॉमी और स्टॉक मार्केट की तस्वीर बदलने के लिए बड़े ऐलान कर सकती हैं। अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने की है। FY25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई। इससे पहले कि इसमें और गिरावट आए, इसे बढ़ाने के जल्द उपाय करने होंगे। यह 2047 तक इंडिया को विकसित देश बनाने के लिहाज से भी जरूरी है। दिसंबर के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक में इकोनॉमिक्स्ट्स का सबसे ज्यादा फोकस ग्रोथ बढ़ाने वाले उपायों पर था।
लोगों को इनकम टैक्स में राहत
ऐसे कई उपाय हैं, जिससे इकोनॉमी की ग्रोथ बढ़ाने के साथ ही स्टॉक मार्केट के सेंटिमेंट को बदलने में मदद मिल सकती है। इनमें सबसे पहला है लोगों को इनकम टैक्स में राहत। सरकार 1 फरवरी, 2025 को इनकम टैक्स में राहत देने वाले उपायों का ऐलान कर सकती है। वह सालाना 15-20 लाख रुपये तक की इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स घटा सकती है। इसके अलावा वह स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी बढ़ा सकती है। इससे कंजम्प्शन बढ़ेगा, जिसका पॉजिटिव असर इकोनॉमी की ग्रोथ पर पड़ेगा। साथ ही इससे स्टॉक मार्केट्स के सेंटिमेंट में भी बदलाव आएगा।
पूंजीगत खर्च में 20 फीसदी की वृद्धि
सरकार पूंजीगत खर्च के टारगेट में बड़ा इजाफा कर सकती है। अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पास चार साल से ज्यादा का वक्त बचा हुआ है। ऐसे में अगर सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाती है तो उसका असर आने वाले सालों में दिख सकता है। पिछले साल अंतरिम बजट में सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। जुलाई में पेश यूनियन बजट में इस टारगेट में कोई बदलाव नहीं किया था। 1 फरवरी, 2025 को सरकार को पूंजीगत खर्च के टारगेट को कम से कम 15-20 फीसदी बढ़ाना चाहिए। पिछले साल लोकसभा चुनावों की वजह से सरकार के पूंजीगत खर्च की रफ्तार पहली तिमाही मे सुस्त रही। इसका खराब असर इकोनॉमी की ग्रोथ पर पड़ा।
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31 दिसंबर को फिस्कल डेफिसिट के डेटा आए हैं। इससे पता चलता है कि इस वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों में सरकार का फिस्कल डेफिसिट पूरे वित्त वर्ष के तय टारगेट का करीब 50 फीसदी रहा है। इसका मतलब है कि इस वित्त वर्ष में सरकार का फिस्कल डेफिसिट 4.9 फीसदी के तय टारगेट के बराबर या इससे कम रह सकता है। इससे सरकार के लिए 1 फरवरी, 2025 को फिस्कल डेफिसिट का 4.5 फीसदी का टारगेट तय करना आसान हो जाएगा। यह स्टॉक मार्केट्स के लिए भी अच्छी खबर होगी। इससे स्टॉक मार्केट में तेजी आ सकती है।