यूनियन बजट 2025 में बैंक की टैक्स-सेविंग्स फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है। बैंक की टैक्स-सेविंग्स फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेश कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम में निवेश पर डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार बैंक टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम के टैक्स के नियमों में बदलाव करती है तो इससे म्यूचुअल फंड्स की टैक्स सेविंग्स के मुकाबले इसकी चमक बढ़ जाएगी।
बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम में 5 साल का लॉक-इन
अभी बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम (Bank Tax Savings FD Scheme) पर लॉक-इन पीरियड 5 साल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इसमें कमी करना चाहिए। अगर यूनियन बजट 2025 में इस लॉक-इन पीरियड को घटाकर 3 साल किया जाता है तो इससे बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम की चमक बढ़ जाएगी। म्यूचुअल फंड्स की टैक्स सेविंग्स स्कीम का लॉक-इन पीरियड सिर्फ 3 साल है। बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी का लॉक-इन पीरियड 5 साल होने से इनवेस्टर्स इसकी जगह म्यूचुअल फंड्स की ELSS स्कीम में निवेश करना पसंद करते हैं।
एफडी की इंटरेस्ट इनकम टैक्स के दायरे में
बैंक टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम से मिलने वाला रिटर्न टैक्स के दायरे में आता है। इस इंटरेस्ट इनकम को इनवेस्टर की कुल इनकम में जोड़ दिया जाता है। फिर उस पर इनवेस्टर के टैक्स-स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। इससे ज्यादा टैक्स-स्लैब के तहत आने वाले वाले इनवेस्टर्स के लिए बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम में निवेश का आकर्षण घट जता है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एफडी के इंटरेस्ट पर टैक्स के फिक्स्ड रेट का ऐलान बजट में होता है तो इससे इस स्कीम में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ सकती है। इनकम टैक्स के ज्यादा स्लैब के तहत आने वाले इनवेस्टर्स भी इसमें निवेश में दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Budget 2025: सीमेंट पर GST घटाने से इकोनॉमी की ग्रोथ होगी तेज, रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ेंगी गतिविधियां
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बढ़ा सकती हैं टैक्स-बेनेफिट
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट में बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम के टैक्स नियमों में बदलाव का ऐलान कर सकती हैं। बैंकिंग इंडस्ट्री का भी मानना है कि अगर सरकार ऐसा करती है तो बैंक की डिपॉजिट ग्रोथ बढ़ सकती है। इनवेस्टर्स बैंक की टैक्स-सेविंग्स एफडी स्कीम की जगह म्यूचुअल फंड्स की टैक्स-सेविंग्स स्कीम में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। इसकी वजह यह है कि एक तो ईएलएसएस में लॉक-इन पीरियड कम है तो दूसरा रिटर्न अच्छा है।