पिछले साल अक्टूबर से स्टॉक मार्केट में जारी गिरावट ने निवेशकों को मायूस किया है। मार्केट का सेंटीमेंट लगातार कमजोर बना हुआ है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूनियन बजट में अगर सरकार स्टॉक्स इनवेस्टर्स की मांगें मान लेती है तो इससे मार्केट में रौनक लौट सकती है। स्टॉक मार्केट्स के प्रतिनिधियों ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी मांगों के बारे में बताया है।
ऑल टाइम हाई से 3000 गिर चुका है निफ्टी
Nifty 50 सितंबर 2024 के अपने ऑल टाइम हाई से करीब 3000 प्वाइंट्स गिर चुका है। 26 सितंबर, 2024 को निफ्टी 26216 प्वाइंट्स पर था। 16 जनवरी को यह 23,311 प्वाइंट्स पर बंद हुआ। इस तरह अपने ऑल टाइम हाई से यह 2,905 प्वाइंट्स गिर चुका है। हालांकि, इससे स्टॉक मार्केट्स की वैल्यूएशन घटी है। काफी समय से इंडियन मार्केट्स की बढ़ती वैल्यूएशन को लेकर चिंता जताई जा रही थी। लेकिन, रिटेल इनवेस्टर्स को मार्केट में गिरावट बढ़ने का डर सता रहा है।
पूंजीगत खर्च का टारगेट बढ़ा तो बाजार को होगी खुशी
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार पूंजीगत खर्च का टारगेट बजट में 15-20 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान करती है तो इसका स्टॉक मार्केट पर अच्छा असर पड़ेगा। FY25 के लिए सरकार ने पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। लेकिन, असल खर्च इस वित्त वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये से कम रहने का अनुमान है। सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने से कंजम्प्शन बढ़ेगा। इससे जीडीपी ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।
स्टॉक इनवेस्टर्स ने की एसटीटी घटाने की मांग
सरकार ने पिछले साल जुलाई में पेश बजट में सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स बढ़ाने का ऐलान किया था। इसका मकसद फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) में रिटेल इनवेस्टर्स की बड़ती दिलचस्पी पर अंकुश लगाना था। एसटीटी बढ़ने का सीधा असर ट्रेडिंग वॉल्यूम पर पड़ा है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को एसटीटी बढ़ाने की जगह रिटेल इनवेस्टर्स को एफएंडओ ट्रेडिंग से जुड़े रिस्क के बारे में बताने की जरूरत है। एसटीसी से सरकार की कमाई तो बढ़ रही है, लेकिन स्टॉक मार्केट के सेंटिमेंट्स पर इसका खराब असर पड़ रहा है।
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कैपिटल गेंस टैक्स रेट में कमी करने की मांग
वित्तमंत्री ने पिछले साल जुलाई में पेश यूनियन बजट में कैटिपल गेंस के नियमों में बदलाव किया था। उन्होंने कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ा दिया था। अब शेयरों या म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों में 12 महीने से पहले पैसे निकालने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। यह 15 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गया है। 12 महीने के बाद शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगता है। इसका रेट सरकार ने 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है।
हालांकि, सरकार ने एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक के कैपिटल गेंस को टैक्स से छूट दी है। पहले इसकी सीमा 1 लाख रुपये थी। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को कैपिटल गेंस टैक्स में कमी करनी चाहिए। अगर वह टैक्स नहीं घटा सकती तो टैक्स से छूट की कैपिटल गेंस की सीमा बढ़ाकर उसे 1.5 लाख रुपये कर देना चाहिए।