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Budget 2025: गिरते स्टॉक मार्केट्स के लिए रामबाण हो सकता है निर्मला सीतारमण का बजट

अक्टूबर की शुरुआत से ही स्टॉक मार्केट्स में गिरावट जारी है। इस साल सितंबर के आखिर में निफ्टी 26,216 प्वाइंट्स के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। तब से इसमें गिरावट जारी है। 31 दिसंबर, 2024 को दोपहर में यह 23, 516 प्वाइंट्स पर था। इस तरह तीन महीने में करीब 3000 प्वाइंट्स गिर चुका है

अपडेटेड Dec 31, 2024 पर 1:20 PM
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वित्तमंत्री 1 फरवरी को अगर STT खत्म करने का ऐलान करती हैं तो इससे स्टॉक मार्केट में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यूनियन बजट 2025 स्टॉक मार्केट्स के लिए रामबाण बन सकता है। वित्तमंत्री 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह बजट शेयर बाजार की मर्ज का दवा साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार यह बात समझ रही है। अगर वित्त मंत्री 1 फरवरी को सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन खत्म करने, फिस्कल डेफिसिट 4.5 फीसदी तक लाने, पूंजीगत खर्च 15-20 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान 1 फरवरी को करती हैं तो स्टॉक मार्केट्स को पंख लग सकते हैं। इस साल अक्टूबर से स्टॉक मार्केट्स की सेहत ठीक नहीं है।

STT खत्म होने से शेयर बाजार में दिलचस्पी बढ़ेगी

स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने इस साल जुलाई में कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव किए थे। इसके बाद सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) की जरूरत नहीं रह गई है। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman 1 फरवरी को अगर STT खत्म करने का ऐलान करती हैं तो इससे स्टॉक मार्केट में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। एसटीटी के चलते शेयरों में निवेश की कॉस्ट बढ़ जाती है। एसटीटी खत्म करने का मार्केट के सेंटिमेंट पर अच्छा असर पड़ेगा।


अभी कितना लगता है एसटीटी?

अभी डिलीवरी आधारित स्टॉक खरीदने पर 0.1 फीसदी एसटीटी लगता है। शेयर खरीदने वाले को यह टैक्स चुकाना पड़ता है। स्टॉक बेचने वाले को भी 0.1 फीसदी का एसटीटी चुकाना पड़ता है। F&O ट्रेड पर भी एसटीटी लगता है। ऑप्शन बेचने वाले को 0.0625 फीसदी एसटीटी चुकाना पड़ता है। यह ऑप्शन के प्रीमियम पर लगता है। फ्यूचर्स की बिक्री पर 0.02 फीसदी एसटीटी लगता है। फ्यूचर्स बेचने वाले को यह टैक्स चुकाना पड़ता है। इस तरह एसटीटी की वजह से शेयरों में निवेश की कॉस्ट बढ़ जाती है।

फिस्कल डेफिसिट के टारगेट पर बाजार की नजरें

स्टॉक मार्केट्स की करीबी नजरें बजट में फिस्कल डेफिसिट के सरकार के टारगेट पर रहती हैं। अगर वित्तमंत्री 1 फरवरी, 2025 को फिस्कल डेफिसिट के लिए 4.5 फीसदी के टारगेट का ऐलान करती हैं तो इससे स्टॉक मार्केट्स को काफी राहत मिलेगी। पिछले कुछ सालों में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट को घटाने पर फोकस बढ़ाया है। सरकार फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाना चाहती है। इसका ऐलान सरकार यूनियन बजट 2025 में करेगी।

पूंजीगत खर्च टारगेट बढ़ाने का बाजार पर पॉजिटिव असर

सरकार ने FY25 में पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये का टारगेट तय किया था। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत खर्च की रफ्तार सुस्त रही है। लेकिन, दूसरी छमाही में इसके बढ़ने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकार FY26 के लिए पूंजीगत खर्च का टारगेट 15-20 फीसदी बढ़ाती है तो इसका स्टॉक मार्केट्स के सेंटिमें पर पॉजिटिव असर पड़ेगा। मार्केट में तेजी देखने को मिल सकती है।

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पूंजीगत खर्च बढ़ाने के कई फायदें

इनकम टैक्स में कमी के ऐलान से भी शेयर बाजार में तेजी आएगी। इसकी बड़ी वजह यह है कि टैक्स घटने से लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि कंजम्प्शन नहीं बढ़ने का असर जीडीपी ग्रोथ पर पड़ा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है। 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लिए कम से कम 7-8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ जरूरी है।

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