Budget 2025: हेल्दी इंडिया पर फोकस और सस्ते इलाज का उपाय? क्या हैं हेल्थ सेक्टर की वित्त मंत्री से उम्मीदें

हेल्थकेयर सुविधाओं का विस्तार करने के लिए सरकार पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल का इस्तेमाल कर सकती है। इलाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है। इससे हेल्थकेयर की कॉस्ट में कमी आएगी। साथ ही रिसर्च और इनोवेशन पर फोकस बढ़ाने के उपाय करने होंगे

अपडेटेड Jan 31, 2025 पर 10:30 PM
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पिछले साल यूनियन बजट में सरकार ने हेल्थकेयर सेक्टर के लिए 90,958 करोड़ रुपये का ऐलोकेशन किया था।

Budget 2025: संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है और एक फरवरी को देश का आम बजट लोकसभा में पेश होगा। मिडिल क्लास को मोदी सरकार के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। वैसे तो बजट से हर सेक्टर्स को उम्मीदें होती हैं लेकिन इस बार हेल्थ सेक्टर को बजट से खास उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस बजट में स्वास्थ्य सेवा में टैक्स सुधारों की मांग की जा रही है।

सरकार हेल्थकेयर का ऐलोकेशन बढ़ाने जा रही है। सरकार ने देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर फोकस बढ़ाया है। खासकर कोविड की महामारी के बाद सरकार दूरदराज के इलाकों में हेल्थ सर्विसेज से जुड़ी सुविधाओं को बेहतर बनाना चाहती है। पिछले साल यूनियन बजट में सरकार ने हेल्थकेयर सेक्टर के लिए 90,958 करोड़ रुपये का ऐलोकेशन किया था।

हेल्थ रिसर्च के लिए 3301 करोड़ आवंटन


वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पिछले साल यूनियन बजट (Union Budget) में हेल्थ रिसर्च डिपार्टमेंट के लिए 3,301 करोड़ रुपये का ऐलोकेशन किया था। हालांकि, यह हेल्थकेयर सेक्टर के कुल बजट ऐलोकेशन में शामिल था। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के लिए 7,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के लिए 200 करोड़ रुपयते का ऐलोकेशन हुआ था।

एक लाख करोड़ से ज्यादा ऐलोकेशन की उम्मीद

हेल्थ इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने पिछले साल हेल्थकेयर सेक्टर के लिए ऐलोकेशन 13 फीसदी बढ़ाया था। इस बार भी ऐलोकेशन में अच्छी वृद्धि होने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ाकर जीडीपी का कम से कम 3 फीसदी तक करना चाहिए। अभी ग्रामीण इलाकों में प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर की स्थिति ठीक नहीं है। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत सरकार हेल्थकेयर सुविधाओं को बेहतर बनाने पर फोकस कर सकती है।

हेल्थकेयर में ग्लोबल लीडर बन सकता है भारत

पिछले कुछ सालों में हेल्थकेयर सर्विसेज के मामले में दुनिया में इंडिया की धाक बढ़ी है। कई देशों के लोग इलाज कराने के लिए इंडिया आना पसंद करते हैं। वे प्राइवेट हॉस्पिटल में अपना इलाज कराते हैं। सरकार ऐसे हॉस्पिटल को मदद करने के लिए आगे आती है तो इससे इंडिया हेल्थकेयर के मामले में ग्लोबल लीडर बन सकता है। हेल्थकेयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ाने से हेल्थकेयर सर्विसेज की कॉस्ट में कमी आ सकती है। सरकार मेडिकल डिवाइसेज और डायगनॉस्टिक पर जीएसटी का रेट घटा सकती है। इससे हॉस्पिटल को भी हेल्थकेयर सेवाएं की कॉस्ट घटाने में मदद मिलेगी।

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पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप से सस्ती होंगी हेल्थकेयर सेवाएं

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हेल्थकेयर के मामले में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की काफी गुंजाइश है। हेल्थकेयर क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार सस्ती कीमत पर हेल्थ सेवाएं देश के दूरदराज के इलाकों में उपलब्ध करा सकती है। इसके लिए एक मॉडल बनाया जा सकता है। यह मॉडल दोनों के लिए फायदेमंद होना चाहिए। इससे ग्रामीण इलाकों में भी हेल्थ सेवाएं उपलब्ध कराने में प्राइवेट हॉस्पिटल्स की दिलचस्पी बढ़ सकती है।

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First Published: Jan 29, 2025 3:12 PM

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