सरकार इंश्योरेंस के लिए बड़ा ऐलान करने वाली है। इंश्योरेंस इंडस्ट्री ने सरकार को कई सलाह दी है। इनमें इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को आम लोगों के लिए सस्ते बनाने के उपाय शामिल होंगे। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी घटाया जाता है तो पॉलिसी सस्ती हो सकती है। एक्सपर्ट्स ने सरकार को टर्म लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ पॉलिसी में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उपाय करने की सलाह दी है।
जीएसटी घटाने से सस्ती होगी पॉलिसी
एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट्स का कहना है कि जीएसटी (GST) घटाने से हेल्थ पॉलिसी (Health Policy) और टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी सस्ती होगी। सरकार टैक्स छूट बढ़ाती है तो इससे लोगों की दिलचस्पी इंस्योरेंस प्रोडक्ट्स खरीदने में बढ़ेगी। अभी इंश्योरेंस पर 18 फीसदी जीएसटी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्स की वजह से प्रीमियम काफी बढ़ जाता है। इससे इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स कई लोगों के लिए काफी महंगे हो जाते हैं। इससे आम लोग उन्हें खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।
हेल्थ पॉलिसी पर टैक्स छूट
हेल्थ पॉलिसी पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन मिलता है। 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति को हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर मैक्सिमम 25,000 रुपये डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। 60 साल और इससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति को मैक्सिमम 50,000 रुपये डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए डिडक्शन बढ़ाकर 50,000 रुपये कर देना चाहिए। 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए डिडक्शन बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जा सकता है।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन मिलता है। इस सेक्शन के तहत इनवेस्टमेंट के करीब एक दर्जन ऑप्शंस आते हैं। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर डिडक्शन के लिए अलग कैटेगरी बनानी चाहिए, क्योंकि अभी 80सी के तहत ज्यादा ऑप्शंस होने से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेन करने की गुंजाइश नहीं बचती है।
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सरकार कंपोजिट लाइसेंस का सिस्टम शुरू करने के साथ ही इंश्योरेंस इंडस्ट्री में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा भी बढ़ा सकती है। इसे बढ़ाकर 100 फीसदी किया जा सकता है। इससे विदेशी कंपनियों को इंडिया में ऑपरेशन शुरू करने के लिए इंडियन कंपनी के साथ पार्टनरशिप करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। उधर, कंपोजिट लाइसेंस का सिस्टम शुरू होने से एक इंश्योरेंस कंपनी लाइफ इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स ऑफर कर सकेगी।