Budget 2026: मैरिड कपल के लिए जॉइंट में ITR फाइलिंग की फिर उठी मांग, क्या हैं फायदे

अगर भारत में यह सुविधा आई तो इससे बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। बढ़ते खर्चों से जूझ रहे कई सिंगल-इनकम परिवारों के लिए, यह एक बेहद जरूरी राहत साबित हो सकती है। पिछले साल बजट में मिली राहतों से मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स का एक बड़ा हिस्सा अब टैक्स के दायरे से बाहर है

अपडेटेड Dec 12, 2025 पर 1:19 PM
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अगर यह विकल्प मिलता है तो पति-पत्नी दोनों मिलकर एक सिंगल टैक्सेबेल यूनिट के रूप में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकेंगे।

मैरिड कपल यानि कि शादीशुदा जोड़ों के लिए जॉइंट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग सुविधा शुरू करने की मांग ​फिर उठ रही है। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (ICAI) ने बजट 2026-27 के लिए प्री-बजट सजेशंस के तहत सरकार को यह विकल्प लाने का अनुरोध एक बार फिर किया है। ICAI ने पिछले साल भी प्री-बजट सजेशंस में मैरिड कपल के लिए जॉइंट टैक्स फाइलिंग सुविधा की सलाह दी थी।

अगर यह विकल्प मिलता है तो पति-पत्नी दोनों मिलकर एक सिंगल टैक्सेबेल यूनिट के रूप में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकेंगे। यानि कि पति-पत्नी को अलग-अलग न मानकर एक ही यूनिट माना जा सकता है। दोनों अपनी इनकम को जोड़कर एक ही आयकर रिटर्न फाइल कर सकेंगे। टैक्सेबल अमाउंट दोनों की आय को जोड़कर उसके आधार पर तय किया जाएगा। अमेरिका और इंग्लैंड में इस तरह की सुविधा पति-पत्नी को मिलती है।

क्या होंगे फायदे


अगर भारत में भी यह सुविधा आई तो इससे बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। कई परिवारों में पति और पत्नी दोनों कमाते हैं और उन्हें अलग-अलग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना पड़ता है। टैक्स एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मैरिड कपल के लिए जॉइंट में या अलग-अलग रिटर्न फाइल करने का विकल्प, दोनों रखे जा सकते हैं। जॉइंट फाइलिंग से समय की बचत होगी, परिवारों की कुल टैक्स लायबिलिटी में कमी आएगी और टैक्स कंप्लायंस भी बढ़ेगा। बढ़ते खर्चों से जूझ रहे कई सिंगल-इनकम परिवारों के लिए, यह एक बेहद जरूरी राहत साबित हो सकती है।

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि मैरिड कपल के लिए जॉइंट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के लिए फैमिली लेवल पर टैक्स से छूट की लिमिट 6-8 लाख रुपये के बीच रखना सही रहेगा। पिछले साल बजट में मिली राहतों से मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स का एक बड़ा हिस्सा अब टैक्स के दायरे से बाहर है। इसलिए सुधारों के अगले चरण के तहत सरकार की ओर से स्ट्रक्चरल सुधारों पर फोकस किए जाने की उम्मीद की जा रही है।

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बजट 2025 में 12 लाख तक की सालाना टैक्सेबल इनकम हुई थी टैक्स फ्री

मिडिल क्लास टैक्सपेयर के लिए पिछले साल बजट 2025 की सबसे बड़ी घोषणा रही थी 12 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम को टैक्स फ्री किया जाना। 75000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन ​के साथ अब नई आयकर व्यवस्था में 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं भरना होगा। 12 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम, रिबेट की मदद से टैक्स फ्री हो सकेगी। रिबेट का मतलब है एक लिमिट तक टैक्स माफ कर दिया जाना। यह नया फायदा नई आयकर व्यवस्था के साथ ही है। पुरानी आयकर व्यवस्था को अपनाने वालों के लिए अभी भी रिबेट के साथ 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम ही टैक्स फ्री बन सकती है।

बजट 2025 में नई आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स में भी बदलाव किए गए थे। अब 4 लाख रुपये तक की टैक्सेबल सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं है। 4 से 8 लाख रुपये पर टैक्स 5 प्रतिशत, 8 से 12 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत और 24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत टैक्स है।

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