यूनियन बजट 2025 पेश होने की तारीख नजदीक आ रही है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट पेश करेंगी। 10 जनवरी से आप बजट के बारे में अपनी राय दे सकते हैं। आप सरकार को बता सकते हैं कि आपको कैसा बजट वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से चाहिए। इनकम टैक्स में छूट सहित आपको यूनियन बजट में क्या-क्या तोहफा चाहिए। यूनियन बजट पेश होने से पहले सरकार अलग-अलग वर्ग के लोगों से उनकी राय जानने की कोशिश करती है। इंडस्ट्री के अलग-अलग प्रतिनिधियों, किसानों, बिजनेसेज की राय भी सरकार जानने की कोशिश करती है।
वित्तमंत्री ने 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों से की बातचीत
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 6 जनवरी को किसान संगठनों, कृषि अर्थशास्त्रियों , ट्रेड यूनियंस, MSME सहित कई सेक्टर के प्रतिनिधियों से बातचीत की। इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और अर्बन सेक्टर के प्रतिनिधियों ने भी वित्तमंत्री को बजट के बारे में अपनी राय बताई। करीब 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने अपनी सलाह वित्तमंत्री को दी। इस बैठक में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव और DIPAM सचिव तुहिन कांत पांडेय, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सचिव अजय सेठ, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज सचिव एम नागराजू और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी ए अनंत नागेश्वरन भी मौजूद थे।
निर्मला सीतारमण के लिए सबसे बड़ी चुनौती
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने इस बार बड़ी चुनौती है। उन्हें यूनियन बजट 2025 में इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने वाले उपाय करने होंगे। उन्हें कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही सरकार की वित्तीय स्थिति यानी फिस्कल डेफिसिट को कम करने पर फोकस करना होगा। फिस्कल डेफिसिट के मामले में सरकार के लिए स्थिति अनुकूल है। इस वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों में सरकार का फिस्कल डेफिसिट अनुमान से कम रहा है। लेकिन, इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है।
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आर्थिक ग्रोथ बढ़ाने के उपाय करने होंगे
सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का टारगेट तय किया है। इस टारगेट को हासिल करने के लिए सालाना 7-8 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ जरूरी है। दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में कमी से यह साफ हो गया है कि सरकार को जल्द कंजम्प्शन बढ़ाने के उपाय करने होंगे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो जीडीपी ग्रोथ लंबे समय तक सुस्त बनी रह सकती है। इसका खराब असर सरकार के रेवेन्यू पर भी पड़ेगा।