नई टैक्स स्लैब में संशोधन
वित्तमंत्री ने नई टैक्स रीजीम को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव किए थे। अब, 3 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। 3 लाख से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5% टैक्स, 7 लाख से 10 लाख रुपये तक पर 10% टैक्स, 10 लाख से 12 लाख रुपये तक पर 15% टैक्स, 12 लाख से 15 लाख रुपये तक पर 20% टैक्स और 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30% टैक्स लागू है। इस बदलाव के बाद पुरानी टैक्स रीजीम सिर्फ उन्हीं के लिए फायदेमंद रही, जो होम लोन का लाभ उठा रहे थे।
कैपिटल गेंस टैक्स में सुधार
कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। अगर स्टॉक्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स 12 महीने से पहले बेची जाती हैं, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स लागू होता है, जिसे पिछले साल 15% से बढ़ाकर 20% किया गया था। वहीं, अगर यूनिट्स 12 महीने बाद बेची जाती हैं, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स लगता है, जिसे 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया था। साथ ही, LTCG टैक्स से छूट की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया था। प्रॉपर्टी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 20% से घटाकर 12.5% किया गया था, लेकिन इंडेक्सेशन का लाभ अब खत्म कर दिया गया।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
वित्तमंत्री ने पिछले साल जुलाई में बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने का ऐलान किया था, लेकिन यह केवल नई टैक्स रीजीम में लागू किया गया था। पुरानी टैक्स रीजीम में इस बदलाव का असर नहीं पड़ा।
NPS में टैक्स बेनेफिट में बढ़ोतरी
सरकार ने यह भी घोषणा की थी कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को, जो नई टैक्स रीजीम का पालन करते हैं, एनपीएस में एंप्लॉयर के 14% तक के योगदान पर टैक्स डिडक्शन मिलेगा। पहले यह सीमा 10% थी।
MNC कर्मचारियों के लिए ईसॉप्स पर राहत
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को अक्सर विदेश में पोस्टिंग मिलती है और उन्हें ईसॉप्स (ESOPs) दिए जाते हैं। पहले, अगर उन्होंने अपने फॉरेन एसेट्स की जानकारी टैक्स रिटर्न में नहीं दी थी, तो उन पर 10 लाख रुपये तक की पेनाल्टी लगती थी। पिछले साल सरकार ने इस नियम में बदलाव करते हुए 20 लाख रुपये तक के एसेट्स की जानकारी न देने पर पेनाल्टी नहीं लगाने का निर्णय लिया था।