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RBI MPC Meeting: 4-6 जून को होगी MPC की बैठक, एकबार फिर से हो सकती है रेपो रेट में कटौती!

RBI MPC Meeting June: MPC की पिछली बैठक फरवरी 2025 में हुई थी। उस बैठक में MPC ने देश की अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि को ध्यान में रखने हुए उसमें मॉनीटरी फ्लो बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। पिछली बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी

अपडेटेड Jun 03, 2025 पर 2:58 PM
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RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 जून सुबह 10 बजे मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा करेंगे

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की मौद्रिक नीति समिति(MPC) की बैठक बुधवार, 4 जून को शुरू होने वाली है। इस बैठक में RBI आने वाले महीनों के लिए अपनी मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा करेगी। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 जून सुबह 10 बजे इसकी घोषणा करेंगे। इसके बाद दोपहर 12 बजे एक पोस्ट-पॉलिसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब देंगे और समिति के निर्णय के पीछे के की वजहों को स्पष्ट करेंगे।RBI गवर्नर द्वारा मौद्रिक नीति घोषणाओं का सीधा प्रसारण RBI के आधिकारिक YouTube चैनल पर सुबह 10 बजे से शुरू होगा।

MPC बैठक में क्या हो सकती है घोषणा? 

इंफ्लेशन के लचीला बने रहने के कारण छह सदस्यीय MPC आगामी बैठक में रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके इसे 5.75 प्रतिशत कर देगी। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि आरबीआई जून में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती करेगा। नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश मुद्रास्फीति में तेज गिरावट से पैदा हुई है। घरेलू और बाहरी दोनों तरह की मांग की स्थितियों पर अनिश्चितता को देखते हुए विकास को मौद्रिक नीति समर्थन की आवश्यकता है।

पिछली बैठक में क्या लिए गए थे फैसले?

MPC की पिछली बैठक फरवरी 2025 में हुई थी। उस बैठक में MPC ने देश की अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि को ध्यान में रखने हुए उसमें मॉनीटरी फ्लो बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। पिछली बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी, जिससे यह 6.5% से घटकर 6.25% हो गई थी। रेपो रेट में यह कटौती अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने की RBI की पॉलिसी को दिखाती है। एक और महत्वपूर्ण निर्णय कैश रिजर्व रेशियो(CRR) में 50 आधार अंकों की कमी करते हुए इसे घटाकर 4% कर दिया गया था। RBI के इस कदम का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी बढ़ाना था, जिससे अर्थव्यवस्था में बेहतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित हो सके। CRR में कमी का विशेष रूप से उद्देश्य लिक्विडिटी चिंताओं को दूर करना और देश में ऋण वृद्धि का समर्थन करना था।

देश के आर्थिक दृष्टिकोण के संदर्भ में, RBI ने 2024-25 के लिए भारत के GDP की वृद्धि 7.2% अनुमानित की थी, जो आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.4% से थोड़ा अधिक थी। MPC ने यह भी विश्वास जताया था कि इंफ्लेशन भी नियंत्रण में रहेगा। MPC के ये निर्णय एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक माहौल में विकास और मुद्रास्फीति दोनों के प्रबंधन के लिए MPC के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।


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