Get App

NEET Success Story: बेटी की किताबों से चुपके से करके पढ़ाई 49 की उम्र में मां चली डॉक्टर बनने, दिलचस्प है इस मां-बेटी की सक्सेस स्टोरी

NEET Success Story: कुछ सक्सेस स्टोरी ऐसी होती हैं, जिन्हें बार-बार पढ़ने-सुनने का मन करता है। ऐसी ही कहानी है इस मां बेटी की भी। बेटी डॉक्टर बनने की तैयारी कर रही थी, मां ने चुपके से उसकी किताबों से पढ़ना शुरू किया, परीक्षा दी और पास हो गई। अब मां-बेटी दोनों डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं।

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 30, 2025 पर 11:50 AM
NEET Success Story: बेटी की किताबों से चुपके से करके पढ़ाई 49 की उम्र में मां चली डॉक्टर बनने, दिलचस्प है इस मां-बेटी की सक्सेस स्टोरी
तमिलनाडु की पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट 49 वर्षीय अमुथवल्ली हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थीं।

NEET Success Story: हम अपने आसपास अक्सर ऐसे लोगों को देखते हैं, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों, पैसों की तंगी या पर्याप्त अवसर नहीं मिलने की वजह से अपने सपने पूरे नहीं कर पाते हैं। इनमें से कुछ लोग इसे भाग्य का फैसला मानकर आगे बढ़ जाते हैं और भूल जाते हैं। वहीं कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, तो आसानी से अपने सपनों को नहीं भूलते। उन सपनों को पूरा करने के लिए ये अपनी तकदीर से लड़कर आगे बढ़ते हैं और जीत कर निकलते हैं। ऐसी ही कहानी है तमिलनाडु की इस मां-बेटी अमुथवल्ली और संयुक्ता की। आइए जानें कि इनकी कहानी में ऐसा क्या है, जो इसे खास बनाता है।

तमिलनाडु के तेनकासी की एक 49 वर्षीय अमुथवल्ली पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं। अमुथवल्ली हमेशा से डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन निजी दिक्कतों और आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी इस ख्वाहिश को पूरा नहीं कर पाईं। लेकिन अब 49 साल की उम्र में वह न सिर्फ राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) पास करने में सफल रही हैं बल्कि विरुधुनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश भी प्राप्त किया है।

अमुथवल्ली की ये यात्रा दृढ़ता और दृढ़ संकल्प की कहानी है, जो 15 वर्षों से भी अधिक समय से संजोए अपने सपने को साकार कर रही है। उन्हें इसकी प्रेरणा अपनी बेटी से मिली। उनकी बेटी नीट की तैयारी कर रही थी और अमुथवल्ली इसमें उसकी मदद कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें अपने सपने को पूरा करने की इच्छा फिर से जागी और उन्होंने खुद परीक्षा देने का फैसला किया। बेटी के कोचिंग चले जाने के बाद वह उसकी किताबों से पढ़ाई करती थीं। धीरे-धीरे ये बात घर में सबको पता चल गई और सब उनके सपने को पूरा करने में सहयोग देने लगे। बेटी कोचिंग से लौटकर मां के साथ पढ़ाई करती थी और दोनों एक दूसरे की रिविजन पार्टनर बन गई थीं।

अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, अमुथवल्ली ने कहा, ‘मैं वर्षों से एक फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में काम कर रही हूं, लेकिन मैं हमेशा से मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती थी। यह सपना 15 साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन मुझे कभी मौका नहीं मिला। जब मैंने अपनी बेटी के साथ तैयारी शुरू की, तो मुझे एहसास हुआ कि अभी नहीं तो कभी नहीं। उसने मुझे फिर से कोशिश करने का साहस दिया।’

अमुथवल्ली ने नीट में विकलांग व्यक्तियों (PwD) श्रेणी के अंतर्गत ये परीक्षा दी और उन्हें 147 अंक मिले। अमुथवल्ली को तेनकासी के पास ही विरुधुनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला है। जबकि उनकी बेटी, संयुक्ता कृपालिनी ने इसी परीक्षा में 460 अंक प्राप्त किए हैं। संयुक्ता को तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रही है। दिलचस्प बात यह है कि मां-बेटी की इस जोड़ी ने तय किया है कि दोनों एक ही कॉलेज में नहीं जाएंगी। अमुथवल्ली ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘हम अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पढ़ेंगे ताकि हम अपनी पढ़ाई पर स्वतंत्र रूप से ध्यान दे सकें।’

AISSEE 2026: देश में यहां खुले 3 नए सैनिक स्कूल, 2026 सत्र की कक्षा 9 में प्रवेश के लिए 30 अक्टूबर तक करें आवेदन

सब समाचार

+ और भी पढ़ें