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NEET Success Story: तमिलनाडु की मां-बेटी एक साथ करेंगी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई, दोनों ने पास की नीट परीक्षा

NEET UG 2025 Success Story: तमिलनाडु में मां-बेटी की एक अनूठी जोड़ी ने इस साल मेडिकल की नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) परीक्षा को पास कर लिया है। 49 वर्षीय अमुथवल्ली मणिवन्नन ने पहली बार इस साल अपनी बेटी के साथ नीट की परीक्षा दी थी। इस प्रेरणादायक कहानी की मुख्य किरदार अमुथवल्ली पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Jul 31, 2025 पर 8:03 PM
NEET Success Story: तमिलनाडु की मां-बेटी एक साथ करेंगी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई, दोनों ने पास की नीट परीक्षा
Mother-Daughter Cracks NEET UG: अमुथवल्ली ने MBBS पढ़ाई के लिए बेटी के साथ मिलकर अपने 15 साल पुराने सपने को पूरा करने का निर्णय लिया (फोटो- The Hindu)

Mother-Daughter Cracks NEET UG: तमिलनाडु में 49 वर्षीय एक फिजियोथेरेपिस्ट महिला और उसकी बेटी ने मजबूत इरादों से अपने सपनों को पूरा करने की एक ऐतिहासिक मिसाल कायम की है। दोनों ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) पास कर इतिहास रच दिया है। नीट परीक्षा पास करने के बाद महिला को अपने गृह जिले के नजदीकी सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट भी मिल गई। जबकि बेटी भी मेडिकल के क्षेत्र में अपना सफर शुरू करने के लिए तैयार है।

अमुथवल्ली मणिवन्नन को अपने स्कूल के दिनों की तुलना में इस बार सिलेबल बहुत अलग और काफी कठिन लगा। लेकिन फिर भी अपनी बेटी की नेशनल लेवल की परीक्षा की तैयारी से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की। अमुथवल्ली ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, "अपनी बेटी को नीट की तैयारी करते देखकर मेरी महत्वाकांक्षा फिर से जागृत हो गई। वह मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी। मैंने उसकी किताबें लीं और परीक्षा की तैयारी की।"

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की छात्रा एम. संयुक्ता ने कोचिंग क्लास ली। उन्होंने जिन किताबों का उसने गहन अध्ययन किया था, उनसे ही उसकी मां को भी मदद मिली। उन्होंने कहा, "मेरे पिता पेशे से वकील थे। उनकी मेडिकल में कोई रुचि नहीं थी. लेकिन मेरी मां की पृष्ठभूमि मेडिकल से जुड़ी होने के कारण वह आसानी से समझ गईं।"

तमिलनाडु मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए 30 जुलाई को काउंसलिंग शुरू हुई। अमुथवल्ली अपनी बेटी के साथ PwD (एक विशिष्ट स्तर तक की दिव्यांगता) कैटेगरी आरक्षण के तहत काउंसलिंग में शामिल हुईं। उन्होंने अपने गृहनगर तेनकासी के पास विरुधुनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना पसंद किया। उन्हें नीट में 147 अंक प्राप्त किए।

अमुथवल्ली ने बताया कि उन्होंने लगभग तीन दशक पहले स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद MBBS कोर्स में दाखिला लेने की कोशिश की थी। लेकिन उस समय ऐसा नहीं हो सका। इसके बजाय उन्हें फिजियोथेरेपी की पढ़ाई करनी पड़ी।

न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में मां-बेटी ने यह तय किया कि वे एक ही कालेज में नहीं पढ़ेंगी। भले ही उन्हें दोनों को एडमिशन के प्रस्ताव मिलें। उन्होंने यह फैसला इसलिए किया ताकि वह पढ़ाई पर स्वतंत्र रूप से ध्यान केंद्रित करें।

पत्रकारों से बात करते हुए संयुक्ता ने कहा, "मैं अपनी मां के साथ एक ही कॉलेज में नहीं पढ़ना चाहती। मैं सामान्य कोटे में प्रतिस्पर्धा करना चाहती हूं। मैं किसी अन्य जगह शायद राज्य से बाहर, पढ़ाई करना चाहती हूं।" बेटी ने नीट में 450 अंक प्राप्त किए हैं।

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