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प्रशांत किशोर पर संजय जायसवाल का हमला, शराबबंदी हटाने के पीछे क्या है फंडिंग का खेल?

Bihar Assembly Elections 2025 : पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर हमला बोला और कहा कि वे दो नंबर का पैसा ले रहे हैं। वे कोई स्ट्रेटजी बनाने नहीं आए हैं, बल्कि सिर्फ वोट काटने का काम कर रहे हैं। संजय जायसवाल ने यहां तक कहा कि PK ने अपनी पार्टी भी झूठ के आधार पर बनाई और पहले दिन से ही जनता को धोखा दिया है

Suresh Kumarअपडेटेड Sep 13, 2025 पर 4:34 PM
प्रशांत किशोर पर संजय जायसवाल का हमला, शराबबंदी हटाने के पीछे क्या है फंडिंग का खेल?
आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत लगातार गरमाती जा रही है।

Bihar Assembly Elections 2025  : आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत लगातार गरमाती जा रही है। जहां एक तरफ जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) लगातार NDA नेताओं पर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं, वहीं अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद संजय जायसवाल ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रशांत किशोर शराब कंपनियों से फंडिंग ले रहे हैं और उनका मकसद सिर्फ बिहार में वोट काटना है।

प्रशांत किशोर पर संजय जायसवाल का हमला

शनिवार (13 सितंबर) को पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान संजय जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर हमला बोला और कहा कि वे दो नंबर का पैसा ले रहे हैं। वे कोई स्ट्रेटजी बनाने नहीं आए हैं, बल्कि सिर्फ वोट काटने का काम कर रहे हैं। संजय जायसवाल ने यहां तक कहा कि PK ने अपनी पार्टी भी झूठ के आधार पर बनाई और पहले दिन से ही जनता को धोखा दिया है।

BJP सांसद ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने अगस्त 2022 में ही दिल्ली में जन सुराज पार्टी का पंजीकरण करवा लिया था। लेकिन बाद में अक्टूबर 2024 में बिहार में जाकर पार्टी लॉन्च की। जायसवाल ने कहा कि दिल्ली में पार्टी का जो विज्ञापन दिया गया था, उसमें अध्यक्ष के तौर पर शरद कुमार मिश्रा और महासचिव के तौर पर विजय साहू का नाम था। लेकिन 2024-25 में इन नामों की जगह उदय सिंह और मनोज भारती जैसे नाम दिखाए गए। ये लोग कौन हैं, बिहार की जनता तक नहीं जानती।

शराबबंदी हटाने के पीछे क्या है फंडिंग का खेल?

वहीं, शुक्रवार (12 सितंबर) को संजय जायसवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए PK पर कई सवाल दागे। उन्होंने पार्टी की फंडिंग को लेकर भी पीके पर निशाना साधा और कहा कि जन सुराज पार्टी फंडिंग के नाम पर कुछ NGO का नाम ले रही है, जिसकी शुरुआती पूंजी महज 50 हजार रुपये बताई जाती रही है। इसके बावजूद लाखों-करोड़ों रुपये कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं पर खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर पैसा कहां से आ रहा है? क्या कोई एनजीओ सीधे राजनीतिक पार्टी को फंड कर सकता है? उन्होंने मांग की कि सभी बैंक स्टेटमेंट, बिल और सोर्स को सार्वजनिक किया जाए ताकि पारदर्शिता साफ हो सके।

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