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Bihar Chunav 2025: चिराग की पहली चुनौती NDA के भीतर, इसके बाद ही बुलंद हो पाएगा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा

ढेर सारे चुनावी आंकलनों के बीच चिराग की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो NDA में ठीक-ठाक सीट शेयर हासिल कर सकें। क्योंकि पिछले दस साल में ये पहली बार है जब चिराग बिहार की राजनीति में सीधे एंट्री करना चाहते हैं और वो पूर्ण NDA (BJP+JDU) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं

Arun Tiwariअपडेटेड Jun 04, 2025 पर 11:00 PM
Bihar Chunav 2025: चिराग की पहली चुनौती NDA के भीतर, इसके बाद ही बुलंद हो पाएगा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा
Bihar Chunav 2025: चिराग की पहली चुनौती NDA के भीतर, इसके बाद ही बुलंद हो पाएगा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान अब बिहार केंद्रित राजनीति करना चाहते हैं। उनका मानना है कि 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का उनका स्लोगन केवल केंद्र की राजनीति के जरिए नहीं पूरा हो सकता। चिराग की बिहार चुनाव में एंट्री के साथ कई तरह आंकलन भी सामने आने लगे हैं जिनमें उन्हें एक वैकल्पिक CM फेस के रूप में भी प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके लिए तमाम तरीके के समीकरण भी बताए जा रहे हैं। लेकिन बिहार में चुनाव लड़ने को तैयार यानी खुद विधायक बनने को तैयार चिराग पासवान के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

दरअसल ढेर सारे चुनावी आंकलनों के बीच चिराग की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो NDA में ठीक-ठाक सीट शेयर हासिल कर सकें। क्योंकि पिछले दस साल में ये पहली बार है जब चिराग बिहार की राजनीति में सीधे एंट्री करना चाहते हैं और वो पूर्ण NDA (BJP+JDU) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सूत्रों के जरिए कई मीडिया रिपोर्ट्स आई हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर मिली जीत के हिसाब से चिराग पासवान 40 से 50 सीटों तक दावा कर सकते हैं। चिराग की सबसे बड़ी चुनौती यहीं पर है। क्योंकि अगर गठबंधन में उन्हें 20 से 25 सीटें तक ही मिलती हैं तो वह उस स्थिति तक नहीं पहुंच पाएंगे जिसका अंदाजा लगाया जा रहा है।

चिराग के बिहार की पॉलिटिक्स में एक्टिव होने की वजह से NDA की अन्य सहयोगी पार्टियों में भी 'असुरक्षा' की भावना मुश्किल पैदा कर सकती है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी अपने लिए 10-15 सीटों की मांग कर रही है। जबकि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी 20-30 सीटों की मांग कर रहे हैं।

ऐसे में कुल 243 विधानसभा सीटों वाले राज्य में एनडीए के भीतर चिराग के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीटें हासिल करना ही है। क्योंकि गठबंधन के बाहर चुनाव लड़कर उन्हें वोट प्रतिशत भले ठीक-ठाक मिल जाए लेकिन सीटों की संख्या लगभग नगण्य रहती हैं।

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