बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष की 'वोटर अधिकार यात्रा' लगातार सुर्खियों में है। इसी कड़ी में रविवार (24 अगस्त) को यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे। इस दौरान जब राहुल गांधी से सवाल किया गया कि क्या बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाएगा, तो उन्होंने इस बात से किनारा करते हुए साफ कहा "फिलहाल सबसे जरूरी है वोट चोरी रोकना।"
इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा “बिहार में विपक्षी दलों की अच्छी साझेदारी बनी है। सभी पार्टियां मिलकर काम कर रही हैं, एक-दूसरे को सम्मान दे रही हैं। जब सब साथ आकर काम करते हैं तो अच्छा नतीजा भी मिलता है। फिलहाल हमारी सबसे बड़ी चिंता वोट चोरी रोकना है।” इसके साथ ही उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म कर दी।
बिहार की राजनीति में इन दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कई बार यह कह चुके हैं कि वे महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।
लेकिन कांग्रेस अभी तक इस पर हामी नहीं भर रही है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु का कहना है कि महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव के बाद ही होगा। यानी कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि फिलहाल किसी को सीएम चेहरा मानने पर सहमति नहीं बनी है।
वहीं राजनीतिक पंडितों का मानना है कि महागठबंधन को इस मुद्दे पर जल्द ही स्पष्टता लानी होगी। अगर चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय नहीं होता तो इसका सीधा असर मतदाताओं पर पड़ सकता है। क्योंकि जनता यह जानना चाहती है कि विपक्ष की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा।
आपको बता दे कि कुछ दिन पहले वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही थी। लेकिन वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अभी तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री उम्मीदवार मानने से बच रही है और कह रही है कि इस पर फैसला चुनाव के बाद ही होगा। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस और राजद के बीच सीएम चेहरे को लेकर तालमेल पूरी तरह से नहीं बैठ पाया है। यानी गठबंधन में अभी भी स्पष्ट उम्मीदवार तय नहीं हुई हैं और सियासी रणनीति पर सोच-विचार कर रही है।