बिहार की राजनीति में इस वक्त रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP) के प्रशांत किशोर से हाथ मिलाने की खबर इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में है। RCP सिंह के लंबे प्रशासनिक और फिर संगठनकर्ता के रूप में राजनीतिक अनुभव की चर्चा की जा रही है। माना जा रहा है कि RCP का PK के साथ आना नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका हो सकता है। नीतीश कुमार के सजातीय होने की वजह ये यह भी माना जा रहा है कि RCP कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। लेकिन क्या RCP सिंह का PK के साथ आना वाकई नीतीश कुमार के लिए कोई बड़े झटके जैसा है? उनके कुशल संगठनकर्ता होने की बातें जेडीयू के चुनावी नतीजों में भी दिखाई देती हैं?