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Bihar Chunav 2025: कोई नया तो कोई पुराना, बिहार चुनाव में इंजीनियर से लेकर PhD होल्डर तक ठोकेंगे ताल

Bihar Assembly Election 2025: वैसे तो चुनाव 2025 के आखिर में होने हैं, लेकिन माहौल अभी से तैयार हो गया है। तो चलिए इसी माहौल को भांपते हुए आपको इस चुनाव के उन बड़े चेहरों से मुखातिब कराते हैं, जिन पर इस बार सभी की निगाहें टिकी होंगी

अपडेटेड Apr 21, 2025 पर 8:21 PM
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Bihar Chunav 2025: कोई नया तो कोई पुराना, बिहार चुनाव में इंजीनियर से लेकर PhD होल्डर तक ठोकेंगे ताल

बिहार में चुनाव बा और बड़का-बड़का नाम बा... जी हां इस साल आखिर में बिहार विधानसभा चुनाव होना है। इस बार का चुनाव कुछ हट कर होगा, जहां पुराने से पुराने खिलाड़ी हो या फिर नए-नए चेहरे हों, हर कोई राजनीति में ताल ठोकने के ईरादे से चुनाव रणभूमि में उतरने की तैयारी कर रहा है। फिर चाहे वो नीतीश कुमार हों, तेजस्वी यादव हों या फिर चुनावी रणनीतिकार से नए-नए राजनेता बने प्रशांत किशोर ही क्यों न हों, ये सभी दिग्गज राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

वैसे तो चुनाव 2025 के आखिर में होने हैं, लेकिन माहौल अभी से तैयार हो गया है। तो चलिए इसी माहौल को भांपते हुए आपको इस चुनाव के उन बड़े चेहरों से मुखातिब कराते हैं, जिन पर इस बार सभी की निगाहें टिकी होंगी।

प्रशांत किशोर


सबसे पहले बात करते हैं चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की, जो इस बार अपनी जन सुराज पार्टी के साथ सभी सीटों पर चुनावी ताल ठोक रहे हैं। प्रशांत किशोर, देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनकी पत्नी जाह्वी दास गुवाहाटी में डॉक्टर हैं और दोनों का एक बेटा है।

प्रशांत ने करीब आठ सालों तक संयुक्त राष्ट्र (UN) के पब्लिक हेल्थ सर्विस प्रोग्राम में काम किया। वे पहली बार 2014 में चर्चा में तब आए जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाई।

बिहार की राजनीति में कहां हैं प्रशांत किशोर?

प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार और लालू यादव के महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। 2018 में नीतीश कुमार ने उन्हें जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल किया और पार्टी का उपाध्यक्ष भी बनाया। हालांकि, यह साथ ज्यादा दिन नहीं चला और दोनों की राहें अलग हो गईं।

प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 को बिहार के चंपारण से पदयात्रा की शुरुआत की और पूरे राज्य में गांव-गांव घूमे। दो साल बाद, 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के दिन उन्होंने अपनी नई पार्टी ‘जन सुराज पार्टी’ की घोषणा की। इस पार्टी से शिक्षा, चिकित्सा, प्रशासन समेत कई क्षेत्रों के दिग्गज जुड़े हैं। अब प्रशांत किशोर 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी जन सुराज पार्टी के साथ उतरने की तैयारी कर चुके हैं।

कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार का नाम छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक में काफी चर्चित रहा है। उन्होंने पटना के नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से MA किया और फिर 2011 में JNU (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय), दिल्ली पहुंचे।

2016 में JNU कैंपस में हुई नारेबाजी की घटना के बाद वे सुर्खियों में आए। उन पर देशद्रोह का केस हुआ और उन्हें गिरफ्तार किया गया। जेल से छूटने के बाद 3 मार्च 2016 को उन्होंने JNU में भाषण दिया, जिससे वे रातों-रात चर्चा में आ गए। इसके बाद फरवरी 2019 में उन्होंने PhD पूरी की।

बिहार की राजनीति में कहां हैं कन्हैया कुमार?

कन्हैया कुमार 2015 में JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए। विवादों के बावजूद उन्होंने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। इसके बाद वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से जुड़े और 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें BJP के गिरिराज सिंह से हार का सामना करना पड़ा।

सितंबर 2021 में कन्हैया कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें छात्र संगठन NSUI का प्रमुख भी बनाया। 2024 के लोकसभा चुनाव में वे उत्तर पूर्व दिल्ली से उम्मीदवार बने, लेकिन BJP के मनोज तिवारी के हाथों हार गए। इसके बावजूद वे लगातार बिहार की राजनीति में सक्रिय बने हुए हैं।

मुकेश सहनी

मुकेश सहनी का जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है। 19 साल की उम्र में वे बिहार छोड़कर मुंबई चले गए। शुरुआत में उन्होंने एक सेल्समैन के तौर पर काम किया, लेकिन बाद में वे बॉलीवुड फिल्मों में सेट डिजाइनर बन गए। उन्होंने सलमान खान, शाहरुख खान की फिल्मों और रिएलिटी शो 'Big Boss' के लिए भी सेट डिजाइन किया।

2014 में उन्होंने बिहार के दरभंगा में एक बड़ी रैली की, जिससे उन्हें पहचान मिली। 2015 में उन्होंने ‘निषाद विकास संघ’ की स्थापना की और फिर 2018 में ‘विकासशील इंसान पार्टी’ (VIP) की नींव रखी।

बिहार की राजनीति में कहां हैं मुकेश सहनी?

2014 की रैली में मुकेश सहनी ने हेलिकॉप्टर से आने की रणनीति अपनाकर मल्लाह जाति और पिछड़ी जातियों में लोकप्रियता हासिल की। रैली की सफलता के बाद उन्होंने कई बड़े नेताओं से संपर्क किया, जिनमें JDU और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल थे।

इसके बाद वे धीरे-धीरे बिहार की राजनीति में एक उभरते हुए चेहरे बन गए। उन्होंने खुद को "सन ऑफ मल्लाह" कहना शुरू किया। 2019 में उन्होंने महागठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं। उन्हें मंत्री पद भी मिला। हालांकि, बाद में उन्होंने लोकसभा उपचुनाव में अकेले लड़कर NDA से दूरी बना ली और फिर से महागठबंधन में शामिल हो गए।

निशांत कुमार

इस लिस्ट में निशांत कुमार एकदम नया नाम और चेहरा है। वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे हैं। वे अब तक सार्वजनिक रूप से राजनीति से दूर रहे हैं, यानी उन्होंने कोई राजनीतिक पद नहीं संभाला है। निशांत ने पटना के सेंट कैरेन्स स्कूल, मसूरी के बोर्डिंग स्कूल और केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने रांची के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

बिहार की राजनीति में कहा हैं निशांत कुमार?

पिछले कुछ दिनों में निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर चर्चा तेज हुई है। यह तब शुरू हुआ, जब वे बक्सर के एक कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। वहां उन्होंने कहा कि “हो सके तो पिता जी को, उनकी पूरी पार्टी को, आप सब जनता वोट करें, उन्हें फिर से लाएं, पिताजी ने अच्छे काम किए हैं।” इस बयान के बाद कयास लगने लगे कि वे राजनीति में आ सकते हैं।

पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या वे राजनीति में आएंगे, तो वे बिना जवाब दिए चले गए। लेकिन उनके इस बयान और सक्रियता को देखकर लगने लगा कि JDU उन्हें राजनीति में ला सकती है।

इसके बाद से उनकी पार्टी में सक्रियता भी थोड़ी बढ़ी है। कई पोस्टर और सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी देखी गई है। हालांकि, उन्होंने अब तक साफ तौर पर नहीं कहा है कि वे चुनाव लड़ेंगे या किसी पद पर होंगे, लेकिन संकेत जरूर मिलने लगे हैं कि वे राजनीति में आने की तैयारी कर रहे हैं।

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