Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने राज्य में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्देश जारी किया है। इसके तहत अयोग्य नामों को हटाते हुए सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग (ECI) अब बिहार से शुरू करते हुए पूरे देश में वोटर लिस्ट का घर-घर जाकर सत्यापन करेगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, इस प्रक्रिया से मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता आएगी। बिहार के लिए आखिरी बार वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण 2003 में किया गया था।
सभी मतदाताओं को एक गणना फॉर्म जमा करना होगा। 2003 के बाद रजिस्टर्ड लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज भी देने होंगे। बिहार में नवंबर से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया बुधवार को शुरू हुई। यह अभियान 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी।
ECI के आदेश में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने और हटाने के कारण वोटर लिस्ट में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि तेजी से शहरीकरण और आबादी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगातार पलायन एक नियमित प्रवृत्ति बन गई है।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, लगातार पलायन, युवाओं का मतदान के लिए पात्र होना, मौत हो जाने वाले व्यक्तियों की सूचना न देना और घुसपैठियों के नाम सूची में शामिल होने जैसे कई कारणों से मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की आवश्यकता है। गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि विशेष पुनरीक्षण करते समय आयोग मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड होने की पात्रता और वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन के लिए अयोग्यताओं के संबंध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का ईमानदारी से पालन करेगा। आयोग ने कहा कि यह संविधान के आर्टिकल 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (1950) की धारा 16 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं।
संशोधनों के दौरान ब्लॉक स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) एक "गणना पैड" लेकर घर-घर जाते थे जिसे परिवार के मुखिया द्वारा भरा जाता था। इस बार, 1 जनवरी, 2003 के बाद वोटर लिस्ट में शामिल होने वालों को एक व्यक्तिगत गणना फॉर्म जमा करना होगा। इसके अलावा नागरिकता का प्रमाण भी देना होगा।
चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारी
चुनाव आयोग की एक टीम ने गुरुवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारियों की समीक्षा की। निर्वाचन आयोग टीम का नेतृत्व वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त मनीष गर्ग कर रहे हैं।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त की अध्यक्षता में निर्वाचन आयोग की टीम ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक को संबोधित करते हुए गर्ग ने कहा कि आगामी विधानसभा आम चुनाव 2025 के मद्देनजर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया की जानी है।"
इस गहन वोटर लिस्ट सर्वेक्षण का उद्देश्य अवैध प्रवासियों और अयोग्य मतदाताओं के नामों की पहचान करके और उन्हें हटाकर मतदाता सूचियों की अखंडता सुनिश्चित करना है। इस अभियान से गुजरने वाला पहला राज्य बिहार है, जहां 2003 की मतदाता सूची में नामांकित मतदाताओं को कोई भी दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
इस समूह में लगभग 5 करोड़ व्यक्ति शामिल हैं। हालांकि, 2003 के बाद नामांकित लोगों को अपनी पहचान और पात्रता साबित करने के लिए वैध दस्तावेज जमा करने होंगे। कुछ अन्य राज्यों में कट-ऑफ वर्ष 2004 की मतदाता सूची होगी।