'अरविंद केजरीवाल अब तिहाड़ जेल जाएंगे': AAP की शर्मनाक हार पर BJP नेता का तंज, बताया कौन होगा दिल्ली का सीएम

Delhi Election Results 2025: दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) 27 साल बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। BJP दिल्ली की 70 में से 48 सीट पर निर्णायक बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है। जबकि आम आदमी पार्टी 22 सीट पर सिमटने के कगार पर है। एक बार फिर कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में अपना खाता नहीं खोलती दिख रही है। इस बीच, एक बीजेपी नेता ने AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल के फिर तिहाड़ जाने की भविष्यवाणी कर दी है

अपडेटेड Feb 08, 2025 पर 4:37 PM
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Delhi Election Results 2025: आम आदमी पार्टी अपने गढ़ दिल्ली में बीजेपी से काफी पीछे चल रही है

Delhi Assembly Election Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतगणना जारी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) 70 में से 48 सीटों पर जीत की ओर बढ़ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर सिमटने के कगार पर है। जबकि एक बार फिर कांग्रेस दिल्ली में अपना खाता नहीं खोलती दिख रही है। इस बीच, बीजेपी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है। बीजेपी के एक नेता ने शनिवार (8 फरवरी) को कहा कि अरविंद केजरीवाल अब तिहाड़ जेल जाएंगे।

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली में करारी हार होने जा रही है। मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सौरभ भारद्वाज और यहां तक ​​कि AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित VVIP उम्मीदवार अपनी-अपनी सीटों पर हार गए हैं।

इस बीच, बीजेपी के नेता योगेंद्र चंदौलिया ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी है। न्यूज 18 के मुताबिक चंदौलिया ने कहा, "मैं पीएम मोदी की अपील सुनने के लिए दिल्ली के लोगों को धन्यवाद देता हूं। केजरीवाल सभी मॉडलों में विफल हो गए हैं। यह तय है कि केजरीवाल तिहाड़ जाएंगे। वह सीएम बनना चाहते थे, लेकिन वह अब विधायक भी नहीं बनने वाले हैं। पार्टी आलाकमान द्वारा चुना गया कोई भी पार्टी कार्यकर्ता दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री होगा।"


दिल्ली में करारी हार मार्च 2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा केजरीवाल की हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी के बाद हुआ है। जेल जाने से केजरीवाल के राजनीतिक अभियान और सार्वजनिक छवि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जो 2025 दिल्ली चुनावों में AAP की हार का एक कारण हो सकता है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली शराब नीति मामले में आरोपों के मद्देनजर हुई थी। यह एक ऐसा घोटाला है जिसने केजरीवाल के नेतृत्व को घेर लिया है।

ED के अनुसार, रद्द की गई शराब नीति का उद्देश्य AAP नेताओं को लाभ पहुंचाना था, जिन्होंने कथित तौर पर रिश्वत ली। इसके अलावा निजी कंपनियों को उनके समकक्षों पर वरीयता दी। ED की चार्जशीट में केजरीवाल पर घोटाले का 'सरगना' होने का आरोप लगाया गया। इसमें दावा किया गया कि उन्होंने अपराध से प्राप्त धन का इस्तेमाल गोवा सहित AAP के चुनाव अभियानों को फंड करने के लिए किया। अपनी गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल कानूनी उपाय की तलाश में दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए।

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में केजरीवाल की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। सिंघवी ने कहा कि ईडी के पास केजरीवाल को अपराध से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था। यह गिरफ्तारी AAP की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए राजनीति से प्रेरित थी। इन कानूनी बाधाओं के बावजूद, केजरीवाल को 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले मई 2025 में अंतरिम जमानत दी गई, जिससे उन्हें अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने में मदद मिली।

केजरीवाल का मामला तब और भी जटिल हो गया जब उन्हें जून 2025 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल के वकीलों ने जेल में 90 दिनों से अधिक की अवधि समाप्त होने पर राहत मांगी। केजरीवाल को अंतरिम जमानत का दूसरा दौर दिया गया। केजरीवाल को ईडी के मामले में हिरासत से रिहा कर दिया गया था। लेकिन सीबीआई जांच के लिए उन्हें सलाखों के पीछे रहना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना जरूरी है। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर केजरीवाल के रुख पर कुछ नहीं कहा।

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हालांकि, सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को लेकर एक चुनौती अभी भी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही मनोज तिवारी जैसे बीजेपी नेता केजरीवाल के कानूनी मुद्दों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं। वे लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता पर तंज कस रहे हैं। तिवारी ने कहा कि दिल्ली के लोग केजरीवाल से नफरत करते हैं। जल्द ही केजरीवाल को तिहाड़ जेल में वापस देखेंगे। बीजेपी ने स्पष्ट रूप से केजरीवाल के कानूनी और राजनीतिक मुद्दों का फायदा उठाया है। चुनाव को उनके शासन और नेतृत्व पर जनमत संग्रह के रूप में पेश किया है।

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