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Nana Patekar : परदे से सरहद तक, कारगिल युद्ध में देश की सेवा करने वाले नाना पाटेकर की एक अनोखी कहानी

कारगिल विजय दिवस पर बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता नाना पाटेकर की एक अनोखी कहानी सामने आई है, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना में सम्मानित कैप्टन के रूप में सेवा दी। सेना के साथ अपनी असली लड़ाई के अनुभव ने उनके अभिनय में और भी दम जोड़ा।

Translated By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Jul 26, 2025 पर 3:08 PM
Nana Patekar : परदे से सरहद तक, कारगिल युद्ध में देश की सेवा करने वाले नाना पाटेकर की एक अनोखी कहानी
नाना पाटेकर ने सिर्फ परदे पर ही नहीं बल्कि असली जिंदगी में भी हीरो बनकर दिखाया। कारगिल युद्ध में उनका योगदान सच्ची देशभक्ति की मिसाल है।

जब देश कारगिल विजय दिवस पर अपने वीर जवानों को सलाम कर रहा है, तब एक ऐसा नाम सामने आया जिसने रील से निकलकर रियल जिंदगी में देश की सेवा की, उस खास व्यक्ति का नाम है नाना पाटेकर। अपनी दमदार एक्टिंग और देशभक्ति से भरपूर छवि के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर ने 1999 में चल रहे कारगिल युद्ध के दौरान वर्दी पहनकर सेना के साथ मोर्चा संभाला।

नाना पाटेकर जो हिंदी और मराठी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं। 1978 में 'गमन' से शुरुआत करने के बाद उन्होंने 'परिंदा', 'प्रहार', 'अंगार', 'सालाम बॉम्बे' और 'तिरंगा' जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता है। वे दिखने में पारंपरिक हीरो जैसे नहीं थे, लेकिन उनकी एक्टिंग में जो गहराई और असर था, उसने उन्हें खास बना दिया।

'प्रहार' फिल्म की शूटिंग के लिए उन्होंने तीन साल तक मराठा लाइट इन्फैंट्री के साथ सच्ची सैन्य ट्रेनिंग की। उनका यह अनुभव इतना ज्यादा प्रभावशाली था कि जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, तो नाना चुप नहीं बैठे। उन्होंने सेना में शामिल होने की इच्छा जताई। शुरू में सेना के बड़े अधिकारियों ने उनका अनुरोध खारिज कर दिया लेकिन एक्टर ने कोशिश नहीं छोड़ी।

आखिरकार, उन्होंने सीधे उस समय के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस से संपर्क किया। तब जाकर उन्हें ये सुनहरा मौका मिला। अगस्त 1999  में नाना भारतीय सेना में कप्तान के तौर पर शामिल हुए। उन्होंने न सिर्फ बॉर्डर पर पेट्रोलिंग की, बल्कि अस्पतालों में घायल जवानों की सेवा भी की।

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