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Kesari Chapter 2 Review: कैसी है अक्षय कुमार और आर. माधवन की फिल्म 'केसरी 2'? पढ़े रिव्यू

Kesari Chapter 2 Review: अक्षय कुमार, आर. माधवन और अनन्या पांडे की फिल्म 'केसरी 2' सिनेमाघरों में आज रिलीज हो गई है। दर्शकों को काफी समय से इस फिल्म का इंतजार था। इस फिल्म की शुरुआत 13 अप्रैल 1919 से होती है, जहां रौलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बड़ी संख्या में सिख शांतिपूर्वक इकट्ठा बैठे हुए थे

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 18, 2025 पर 6:30 PM
Kesari Chapter 2 Review: कैसी है अक्षय कुमार और आर. माधवन की फिल्म 'केसरी 2'? पढ़े रिव्यूKesari Chapter 2 Review: कैसी है अक्षय कुमार और आर. माधवन की फिल्म 'केसरी 2'? पढ़े रिव्यू
Kesari Chapter 2 Review: शंकरन नायर के किरदार में अक्षय कुमार ने शानदार एक्टिंग की है

Kesari Chapter 2 Review: अक्षय कुमार और आर. माधवन की फिल्म 'केसरी 2' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। अगर आप भी फिल्म देखने के बारे में सोच रहे हैं तो इससे पहले जान ले कैसी है ये फिल्म। 'केसरी चैप्टर 2' यह एक कोर्टरूम ड्रामा है, जो इसे बाकी देशभक्ति फिल्मों से अलग बनाता है। फिल्म में कई ऐसे सीन है जो आपको देशभक्ति का गहरा एहसास करवाते हैं। अक्षय कुमार ने शंकरन नायर के किरदार में,आर माधवन ने नेविल मैककिनले के रोल और अनन्या पांडे दिलरीत गिल के रोल में नजर आई है।

क्या है फिल्म की कहानी

फिल्म की शुरुआत 13 अप्रैल 1919 से होती है, जहां रौलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बड़ी संख्या में सिख शांतिपूर्वक इकट्ठा बैठे हुए थे। इसके बाद फिल्म में हम बरकत सिंह नाम के एक छोटे लड़के को उसकी मां और छोटी बहन के साथ जलियांवाला बाग में आते हुए देखते हैं। वो सब वहां अपने जैसे कई और लोगों के साथ मिलकर अंग्रेजों के जुल्म और अत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध करने पहुंचे होते हैं। तभी जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ वहां आता है और फिर वो निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवाना शुरू कर देता है।

बरकत की मां और बहन जलियांवाला बाग की गोलीबारी में मारे जाते हैं और बरकत खुद लाशों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाता है। कुछ ही देर में पूरा मैदान खून से लाल हो जाता है। दूसरी तरफ हमें जस्टिस शंकरन नायर से मिलवाया जाता है, जो वायसराय की काउंसिल में एकमात्र भारतीय बैरिस्टर हैं और अक्सर अंग्रेजों की तरफ से भारतीयों के खिलाफ केस लड़ते हैं। लेकिन जब उनकी मुलाकात बरकत से होती है, जो अपनी मां और बहन के लिए इंसाफ मांगते हुए वायसराय ऑफिस के बाहर एक तख्ती लेकर खड़ा होता है। उस समय शंकरन के अंदर कुछ बदलने लगता है। ये मुलाकात उनके सोचने का नजरिया बदल देती है।

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